कश्मीर की वादियों में गूंजी गोलियों और बहते खून के शोर ने राजस्थान की तपती सरहदों तक हलचल मचा दी है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे पश्चिमी भारत में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। बीकानेर, श्रीगंगानगर, खाजूवाला और बज्जू जैसे सीमावर्ती इलाकों में अब हर कदम पर तैनात हैं हथियारबंद जवान, और हर गुजरते वाहन की हो रही है बारीकी से जांच। लेकिन इस आतंक की लहर से सबसे गहरी चोट झेली है उन पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों ने, जो धार्मिक यात्रा के नाम पर भारत आए थे। अब अचानक खुद को वापस लौटाने की कगार पर खड़ा पा रहे हैं।
धार्मिक आश्रम से वाघा की राह
जोधपुर के एक आश्रम में कुछ ही दिन पहले भजन-कीर्तन की धुन गुंज रही थी वहीं अब सन्नाटा पसरा है। सूटकेसों की खामोश भीड़। और विस्थापितों के उदास चेहरे कई सवाल कर रहे है। बिना आवाज के ही चेहरे सवालिया निशान लगाते हुए कह रहे है कि “वीजा तो 25 मई तक वैध है,” वे कहते हैं, “पर अब हमें 48 घंटे में वापसी करनी है। इतना वक्त तो समझने के लिए भी कम है।” यहीं रूका एक परिवार 27 मार्च को सिंध प्रांत से भारत आया था। उनका सपना था कि हरिद्वार में गंगा स्नान, और कुछ दिन सुकून के, अपनों के साथ। लेकिन अब ये यात्रा एक झटका बन गई है। जिसमें न वीज़ा मदद कर पा रहा है, न मानवता।
पीएम मोदी से लगाई गुहार
सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गुहार लगाई है। “इन लोगों ने धार्मिक उत्पीड़न से भागकर यहां शरण ली थी, अब अगर इन्हें लौटा दिया गया, तो यह जीवन और मौत के बीच फंसी एक उम्मीद की मौत होगी,
लोहे की दीवार बन गई सरहदें
बीकानेर बॉर्डर हो या खाजूवाला का कोई गांव हर जगह सुरक्षा की फौलादी परत चढ़ गई है। बीएसएफ और राजस्थान पुलिस की साझा टीमें दिन-रात गश्त कर रही हैं। तारबंदी के पास बढ़ी हुई तैनाती, गांवों में चल रही पूछताछ, और सोशल मीडिया पर अफवाहों को रोकने के लिए जारी कड़े निर्देश ये सब हालात की गंभीरता का बयान कर रहे हैं। बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, अब तक किसी भी तरह की संदिग्ध हलचल या अप्रिय घटना की जानकारी नहीं है। लेकिन जमीन पर तैनात जवानों की आंखें हर पल चौकस हैं।