बिहार में चुनावी रण की शुरुआत,  बिछ रही सियासी बिसात हैं शंखनाद का इंतजार

बिहार में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं, और जैसे-जैसे चुनावी घड़ी नजदीक आ रही है, प्रदेश की सियासत का पारा तेजी से चढ़ता जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है, नेताओं का बिहार आना-जाना भी बढ़ गया है और बयानबाज़ी से लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर ज़ोर पकड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग इस बार भी सितंबर के पहले सप्ताह में बिहार विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा कर सकता है। आयोग ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। पिछली बार की तरह इस बार भी राज्य की सभी 243 सीटों पर तीन चरणों में मतदान होने की संभावना जताई जा रही है।

पिछली बार देरी की वजह बना था कोविड
2020 के चुनाव कोविड महामारी की वजह से थोड़ा पीछे खिसक गए थे। तब 25 सितंबर को चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था, जबकि उससे पहले 2015 में 9 सितंबर को ही चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। इस बार परिस्थितियां सामान्य हैं, इसलिए चुनाव आयोग समय रहते घोषणा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2020 में विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हुआ था, जबकि इस बार यह 22 नवंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में इस बार चुनावी बिगुल और जल्दी बज सकता है।

महागठबंधन में सीएम चेहरे पर उलझन
एनडीए ने जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने के संकेत दे दिए हैं, वहीं महागठबंधन अब तक अपने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर एकमत नहीं हो पाया है। तेजस्वी यादव को लेकर अभी भी राय बंटी हुई है। वहीं, सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन के भीतर खींचतान बढ़ने के आसार हैं।

जन सुराज पार्टी का अलग दांव
इस बार सियासी समीकरणों को और दिलचस्प बना रही है प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करके सभी राजनीतिक दलों की रणनीति को नया मोड़ दे दिया है। इससे मुकाबला और भी रोमांचक और अप्रत्याशित होता दिख रहा है।