पनिहारी,सिद्धि, धमाल भील भगोरिया से सजी मालवा उत्सव की शाम, मालवी व्यंजन बन रहे हैं लोगों की पसंद

इंदौर।  मालवा उत्सव इंदौर की पहचान बन चुका है और इस उत्सव का इंतजार वर्ष भर से इंदौर ही नहीं इंदौर के आसपास एवं प्रदेश के लोगों को भी रहता है। मालवा ही नहीं देश की लोक कला एवं शिल्प कला को समृद्ध करने का कार्य लोक संस्कृति मंच के द्वारा किया जा रहा है ।आज लालबाग पर दोपहर से ही लोगों की आवाजाही शुरू हो गई थी।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि शिल्प मेला प्रतिदिन सायंकाल 12 बजे से प्रारंभ हो रहा है इसमें छत्तीसगढ़ का ब्लैक आयरन शिल्प जिसमें लोहे को पिघला कर पीट-पीटकर हिरण शेर सहित कई प्रकार की महीना कृतियां तैयार की जाती है मिल रहा है साथ ही छत्तीसगढ़ का ब्रास शिल्प भी यहां पर मौजूद है ।वही नागालैंड का ड्राई फ्लावर उत्तर प्रदेश के कालीन महेश्वर की माहेश्वरी साड़ियां यहां पर मौजूद है। लगभग 300 से अधिक शिल्पकार अपनी कला यहां पर प्रदर्शित करने एवं बनाए गए उत्पाद विक्रय करने आए हैं। यहां पद्मश्री अवार्ड रमेश परमार एवं शांति परमार भी अपने उत्पाद लेकर आए हैं तो वही उड़ीसा राजस्थान महाराष्ट्र के शिल्पकार भी अपनी कल को प्रदर्शित करने एवं विक्रय के लिए लाए हैं।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा एवं विशाल गिद्वानी ने बताया कि मालवा उत्सव में आज भील जनजाति का पारंपरिक नृत्य भगोरिया धनुष बाण के साथ शहनाई व ढोल की थाप पर प्रस्तुत किया गया।गुजरात का प्रसिद्ध नृत्य डांगी प्रस्तुत किया गया जिसने पिरामिड बनाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी इसमें आठ लड़कियों द्वारा भगवा वस्त्र पहनकर एवं तेरह लड़कों ने पीले कुर्ते पजामे में नृत्य किया यह कुनबी जनजाति का नृत्य था। सिद्धि धमाल नृत्य जो की गुजरात में अफ्रीका से आकर बसे हुए जनजाति लोगों के द्वारा किया गया काफी सुंदर बन पड़ा था मालवा का लोक नृत्य मटकी जो की मांगलिक अवसर पर महिलाओं द्वारा किया जाता है ढोलक की थाप पर अलग-अलग मुद्राओं के साथ महिलाएं द्वारा आडा, खड़ा ,रजवाड़ी मटकी की ताल पर किया जाता है इसमें महिलाएं मटक मटक कर नृत्य करती है बहुत ही सुंदर बन पड़ा था। वही पनिहारी नृत्य जो की कुएं पर पानी भरते समय महिलाओं के मनोभावों को प्रदर्शित कर गया। स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।

मालवी व्यंजन रहे पसंद

लोक संस्कृति मंच के निवेश शर्मा ने बताया कि देश के लोगों की स्वाद की पसंद बन चुके मालवा के व्यंजन यहां भी लोगों की खास पसंद बने हुए थे लोग जहां दाल बाटी का लुत्फ उठा रहे थे और मालवा की मटका कुल्फी भी गर्मी में ठंडक दे रही थी वही गुजरात के व्यंजन भी यहां पर काफी पसंद किए गए मुंबई महाराष्ट्र का बड़ा पाव एवं साउथ इंडियन डोसा इडली भी यहां मौजूद थी। बिहार के व्यंजन का स्वाद भी यहां पर मौजूद है।

11 मई के कार्यक्रम

शिल्प मेला प्रतिदिन 12:00 से एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम 7:30 से प्रारंभ होगे।सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बधाई, राठवा सिद्धि धमाल पनिहारी कर्मा, भील भगोरिया एवं स्थानीय प्रस्तुतियां होगी।