मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका कर रख दिया है। एक बाघिन की मौत के बाद उसके पंजे और दांत इसलिए काट लिए गए क्योंकि कुछ ग्रामीण अपनी पत्नियों को ‘वश में’ करना चाहते थे। यह सब एक पंडा के कहने पर किया गया, जो तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक का दावा करता था।
जंगल में मिला था बाघिन का शव
पेंच टाइगर रिजर्व के रूखड़ बफर जोन में एक मरी हुई बाघिन का शव मिला था। इस बाघिन के शव को देखने के बाद गांव के कुछ लोगों के दिमाग में एक अजीब योजना ने जन्म लिया। मुख्य आरोपित राजकुमार और झाम सिंह मछली पकड़ने के बहाने जंगल गए थे, जहां उन्हें बाघिन का शव दिखाई दिया। थोड़ी ही दूरी पर एक जीवित बाघ भी मौजूद था, जिसे देख वे डर के मारे वहां से भाग निकले।
पंडा के फरमान पर ले आए बाघिन के पंजे
आरोपी दूसरे दिन फिर से जंगल में पहुंचे, इस बार फरार आरोपी सुखलाल के साथ अन्य लोग भी शामिल थे उन्होंने बाघिन के पंजे और नुकीले दांत काट लिए और पंडा को इसकी जानकारी दी। पंडा ने कहा कि तांत्रिक क्रियाएं इन अंगों से की जाएंगी जिससे पत्नियों को वश में किया जा सकता है।
खाल की भी मांग
पंडा यहीं नहीं रुका। उसने खाल भी लाने को कहा। इस पर तीसरी बार पांच आरोपी जंगल में लौटे और खाल का एक टुकड़ा काट लाए। लेकिन इसी बीच वन विभाग को बाघिन के शव की सूचना मिल गई, और उन्होंने जांच शुरू कर दी।
चौंकाने वाले खुलासे
जांच के बाद वन विभाग ने राजकुमार, झाम सिंह, छवि लाल, रत्नेश परते और मनीष उइके को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने यह सब सिर्फ इसलिए किया ताकि उनकी पत्नियाँ उनकी बात माने और वश में रहें। पंडा ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि बाघिन के पंजे और दांत से किए गए तांत्रिक प्रयोगों से उन्हें ये ‘शक्ति’ मिल जाएगी। आरोपियों के पास से बाघिन के पंजे, दांत, मूंछ के बाल और तंत्र-मंत्र की अन्य सामग्रियाँ भी बरामद की गई हैं।
फरार हैं दो आरोपी
वन विभाग अब भी मुख्य साजिशकर्ता पंडा और आरोपी सुखलाल की तलाश में जुटा है। पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इनकी गिरफ्तारी के लिए 10,000 रुपये का नकद इनाम भी घोषित किया है। यह मामला न केवल वन्यजीव अपराध की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अंधविश्वास आज भी समाज के एक हिस्से को किस तरह जकड़े हुए है।