मध्य प्रदेश के चंदेरी शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला , जिसका निर्माण तोमर वंश द्वारा किया गया था। इस किले का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। इतिहास में यह किला सैन्य चौकी और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह किला चंद्रागिरि नामक पहाड़ी पर बनाया गया था, जो इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। बता दे कि तोमर राजवंश , वह राजपूत वंश है जो अपनी स्थापत्य कला और वीरता के लिए जाना जाता है। इस किले का निर्माण राजा कीर्ति सिंह ने करवाया था।
चंदेरी का किला और व्यापारिक भूमिका :
प्राचीन काल में चंदेरी किला एक महत्त्वपूर्ण सैन्य गढ़ था। जो इस क्षेत्र से गुजरने वाले व्यापार मार्गों की रक्षा करता था। यह किला न केवल व्यापार की सुरक्षा करता था, बल्कि चंदेरी के प्रसिद्ध वस्त्र उद्योग और अन्य व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण भी रखता था।
स्थापत्य कला और वास्तुशिल्प विशेषताएं:
चंदेरी किले की वास्तुकला तोमर राजवंश की भव्यता को दर्शाता है। आज भी इसकी मजबूत दीवारें,कई राजाओ के शासन काल की सौर्य गाथाएं सुनाती है । किले में राजपूत और इस्लामी स्थापत्य शैलियों का अनूठा संगम देखा जा सकता है। इस किले में कई द्वार, किलेबंद दीवारें, प्रहरीदुर्ग और जटिल नक्काशीदार संरचनाएं शामिल हैं।
खूनी दरवाजा: एक खौफनाक विरासत
किले के सबसे चर्चित हिस्सों में से एक है खूनी दरवाजा, जो अपने नाम के अनुरूप कई भयावह कहानियों का केंद्र है। कहा जाता है कि यह दरवाज़ा युद्धों, सार्वजनिक फांसियों और संघर्षों का साक्षी रहा है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां मारे गए सैनिकों और निर्दोष लोगों की आत्माएं आज भी भटकती हैं, जिससे इस स्थान को रहस्यमय और भूतिया माना जाता है।चंदेरी किला कई रहस्यमयी कथाओं और भूतिया किस्सों से जुड़ा है। लोक कथा के अनुसार यहा युद्धों में बेरहमी से मारे गए सैनिकों की आत्माएं किले के गलियारों में आज भी दिखाई देती हैं। ये कहानियां न केवल स्थानीय संस्कृति का हिस्सा बन चुकी हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का कारण हैं।