सरकारी जमीन पर बनी संभल की मस्जिद पर चलेगा बुलडोजर, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

संभल में मंदिर- मस्जिद विवाद के बाद हुई हिंसा से पुरे देश में एक बार माहौल गर्मा गया था। इसके बाद एक बार फिर संभल की मस्जिद चर्चा में आ गई। इलाहबाद हाई कोर्ट ने संभल में तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। जिसमें मस्जिद पक्ष को कोई राहत नहीं मिली लेकिन ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ अपील करने की छूट दी गई है। मस्जिद कमेटी ने जमीन के दस्तावेज पेश किए थे। याचिका में मस्जिद बरात घर और अस्पताल के खिलाफ ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग की गई थी।

सरकारी जमीन पर बनी थी मस्जिद
संभल में तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण से जुड़ा बड़ा निर्णय इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिया है। हाई कोर्ट में मस्जिद पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें मस्जिद पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट में मस्जिद पक्ष को कोई अंतिम राहत नहीं दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर रोक के लिए याची को ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ वैकल्पिक उपचार अपील दाखिल करने की छूट दी है। कोर्ट ने इस आदेश के साथ याचिका खारिज कर दी है।

अर्जेंट बेंच ने की सुनवाई
हाई कोर्ट में लगातार छुट्टी के दिन अर्जेंट बेंच बैठी और मामले की सुनवाई की गई। मस्जिद कमेटी की ओर से जमीन से जुड़े दस्तावेज पेश किया गया। हाई कोर्ट ने मस्जिद की जमीन से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। याची के अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी के मुताबिक कोर्ट की हस्तक्षेप के बाद उन्हें ध्वस्तीकरण का आदेश भी मिला है। बगैर ध्वस्तीकरण आदेश दिए मस्जिद के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही थी। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका निस्तारित कर दी। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अर्जेंट बेसिस पर सुनवाई की मांग की गई थी।

तालाब की जमीन पर बनी थी मस्जिद
आरोप है कि बारात घर तालाब की जमीन पर बना हुआ था, मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर बना हुआ है। हालांकि मस्जिद कमेटी की ओर से अवैध हिस्से को खुद हथौड़े से तोड़ा जा रहा है। याचिका में राज्य सरकार,डीएम व एसपी संभल, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया गया है। मस्जिद की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक त्रिपाठी ने पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जेएन मौर्या और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने पक्ष रखा।