नर्सों पर गाज गिरा कर अपनी लापरवाही छुपाना चाहता है अस्पताल प्रशासन, वीडियों वायरल होने पर की कार्रवाई

इंदौर के एमवाय (शासकीय महाराजा यशवंतराव) अस्पताल में पिछले महीने चूहों ने जिन दो नवजात शिशुओं के हाथ कुतरे थे, उन दोनो ही नवजात शिशु की भी मौत हो गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने दो नर्सिंग स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया था। साथ ही नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाने के साथ कई जिम्मेदार कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया । 

साथ ही हाईकोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया था। जिस पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन केस लिस्ट पर नहीं आया। यानी अब इस मामले में आने वाले दिनों में सुनवाई होना संभावित है। हालाकि इससे पहले हाईकोर्ट ने 15 सितंबर को हुई सुनवाई में पूछा था कि इसमें एफआईआर क्यों नहीं हुई और साथ ही पेस्ट कंट्रोल कंपनी और पीडब्ल्यूडी से भी जानकारी तलब की थी।

आपको बता दें कि इस मामले में अस्पताल प्रशासन में जांच के लिए कमेटी बनाई थी। हाल ही में कमेटी ने एक रिपोर्ट में जांच से जुड़े अहम पहलुओं का खुलासा किया है। इस मामले में जांच कमेटी ने सख्त अनुशंसा पेश करते हुए कहा कि सभी शासकीय अधिकारी और कर्मचारी है और शासन और अस्पताल की छवि का सवाल है।  

ऐसे में अस्पताल की छवि खराब करने वाली फोटो, वीडियों किसी के पास नहीं जाना चाहिए थी। एचएलएल कंपनी निजी है उनके अतुल मराठे ने  भी यह वीडियो नहीं भेजा जाना था। इन्हें शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच ही रखा जाना चाहिए।

इस मामले में जांच कमेटी ने सख्त अनुशंसा की है कि सभी शासकीय अधिकारी व कर्मचारी हैं और शासन व अस्पताल की छवि का सवाल है। ऐसे में छवि खराब करने वाली फोटो, वीडियो निजी के पास नहीं जाना चाहिए थी, एचएलएल कंपनी निजी है उनके अतुल मराठे को भी यह वीडियो नहीं भेजा जाना चाहिए था। इन्हें शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के बीच ही रखा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इस जांच में ये भी सामने आया है कि पेस्ट कंट्रोल कंपनी एजाइल ने इसके लिए विवेक पाल को नियुक्त किया हुआ था, जो केवल 12वीं पास है और इसके बाद सर्टिफिकेट के नाम पर केवल 1 दिन का कोई सर्टिफिकेट है। कंपनी के पास कोई अनुभवी व्यक्ति ही नहीं है। वहीं पाल ने भी जानकारी मिलने के बाद भी रविवार 31 अगस्त को आकर पेस्ट कंट्रोल नहीं किया और बारिश का बोल टालमटोल कर दी।

एमवाय हॉस्पिटल की जांच के दौरान सामने आया कि दो दिन तक लगातार चूहा काटने की घटना सामने आई पहले बेबी रेहाना और फिर बेबी मंजू की। इसकी जानकारी स्टाफ द्वारा दी गई, लेकिन इसके बाद भी कोई सीनियर डॉक्टर ने राउंड लेना उचित नहीं समझा। यह वरिष्ठों की लापरवाही है और इसमें कार्रवाई होना चाहिए।