सार्वजनिक रूप से देह प्रदर्शन की घटना शर्मसार कर गई…क्या महानगरों में संस्कारी प्रवृत्ति मर गई…

आधुनिकता की होड़ में बेशर्मी की हदें पार कर गई…अपने यौवन की अग्नि में सभ्यता को भस्म कर संस्कृति को तार – तार कर गई…सार्वजनिक रूप से देह प्रदर्शन की घटना शर्मसार कर गई…क्या महानगरों में संस्कारी प्रवृत्ति मर गई…अर्धनग्न युवतियों के आचरण घिनौने और निंदनीय है…क्यों लगता हैं तमाशबीन लोग वहां दर्शनीय है…कुछ तो ख्याल करो ये मुम्बई या गोवा नहीं इंदौर है…

यहां पर माँ अहिल्या के विचारों का रहा प्रभावशाली दौर है…अश्लील दृश्य और वासना की आदतें यहां मंजूर नहीं…धैर्य और संयम की इस धरा पर उत्तेजना की हरकतें करती मजबूर नहीं…तुम रील बनाने के चक्कर में अपना अंग प्रदर्शन कर रही हो…वो हुआ जो हुआ लेकिन भेड़ियों की फौज वहां क्या दर्शन कर रही हो…इस विकृत मानसिकता को नग्न नेत्रों से निहारने वालों कुछ तो शर्म करते…एक कपड़ा उठाते और उसकी देह पर ढंककर थोड़ा गुस्सा गर्म करते…न शहर की आबरू नीलाम होती न मुन्नी बदनाम होती…

लज्जा की इमारतें बनाते मजबूत तो शालीनता तुम्हारे नाम होती…पर तुम भी निसर्घट्ट बनकर लुत्फ उठाते रहे…पत्नी के साथ होने पर भी बेशर्म निगाहें उठाते रहे…लाज और हया तो सलीब पर टँगी आत्मा की तरह बेबस है…सोच और दृष्टि निकृष्टता निहारती बरबस है…तुम्हारे चार्म को देखकर ही उन्होंने सोशल मीडिया पर लिख दी “थिस एक्शन फ़ॉर पब्लिक रिएक्शन” टैग लाइन…ऐसे विचारों को तो मीडिया जगत ने भी कर देना चाहिए फाइन…हद तो तब हो गई जब लड़की लिखती है “पब्लिक रिएक्शन ऑन माय बू…..”

जलील करने वाली बात…धिक्कार है तुमको और तिरोहित कर दो तुम अपने जज़्बात…यूँ तो महानगरों में अल्प वस्त्र पहनी नारियाँ प्रायः दिख जाती है जिस पर ध्यान नहीं जाता…मगर इस घटना में ध्यान दिलाने वाला वाक्य सोशल मीडिया पर बेशर्मी दिखाता…दुःख तो तब और होता है ये लड़कियाँ इतनी हिम्मत कैसे जुटा पाती है…इनके माता – पिता के सम्मुख भी अपनी इज्जत लुटा पाती है…होस्टल कल्चर के अनेक कारनामें हमने शहर में देखे हैं अब ये भी देख लिया…अब चल रहे हैं चटकारे बातों के चौपाटी पर लोग कह रहे हैं देखो तो सई भिया…ये छोरियां बी गजब ढा रही है…

मिनी मुम्बई को मुम्बई के आम नजारे दिखा रही है…चूरन चटनी लगाके लोग चर्चाओं के साथ वीडियो देखने में मग्न हैं…यहां अपने मालवा के गौरवशाली संस्कार पलक झपकते ही हो रहे भग्न हैं…बोलने वाले की जुबान नहीं पकड़ सकते , देखने वाले की आंख नहीं जकड़ सकते ये घिसा पीटा डायलॉग अब आम हो जाएगा…ऐसे ही माहौल कम्पोज़िट का चलता रहा तो धीरे धीरे यहां का शरबत भी जाम हो जाएगा ।