एमपी का नक्शा फिर बदलेगा, तीन नए जिले और एक नया संभाग बनने की तैयारी, भोपाल, रीवा और मैहर पर पड़ेगा बड़ा असर

मध्य प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में एक बार फिर बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। सरकार प्रदेश में तीन नए जिले और एक नया संभाग बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इससे न सिर्फ प्रदेश के भौगोलिक नक्शे में बदलाव होगा, बल्कि कई जिलों की सीमाओं को भी नए सिरे से तय किया जाएगा। यह पुनर्गठन राज्य के नागरिकों को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं देने और विकास कार्यों को गति देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया का सबसे ज्यादा असर भोपाल, रीवा और मैहर जिलों पर पड़ने वाला है।

भोपाल में बढ़ेंगी तहसीलें, हर विधानसभा क्षेत्र को मिलेगी अपनी इकाई

राजधानी भोपाल जिले में प्रशासनिक ढांचा काफी समय से असंतुलित माना जा रहा था। फिलहाल यहां केवल तीन तहसीलें — हुजूर, कोलार और बैरसिया हैं। इनमें से हुजूर तहसील का दायरा बहुत बड़ा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र आते हैं, जिससे प्रशासनिक कामकाज में दिक्कतें आती हैं। अब सरकार ने इस स्थिति को सुधारने का निर्णय लिया है। नए पुनर्गठन के तहत हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक तहसील बनाई जाएगी, जिससे भोपाल जिले में कुल आठ तहसीलें होंगी। नई तहसीलों में शहर (पुराना भोपाल), संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़), गोविंदपुरा, टीटी नगर और एमपी नगर को शामिल किया गया है। इन नई तहसीलों का गठन विधानसभा क्षेत्रों के अनुरूप किया जाएगा ताकि प्रशासनिक और राजनीतिक इकाइयों के बीच समन्वय बेहतर हो सके।

राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की देखरेख में काम

प्रदेश में हो रहे इस बड़े बदलाव की निगरानी राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग कर रहा है, जो पिछले वर्ष सितंबर में गठित किया गया था। आयोग ने अब तक 25 जिलों में मैदानी कार्य पूरा कर लिया है, जबकि शेष जिलों में आने वाले तीन महीनों में कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। आयोग का उद्देश्य दिसंबर 2025 तक सभी प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंपना है, क्योंकि जनगणना महानिदेशालय ने इसके बाद नई प्रशासनिक इकाइयों पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्य अंतिम चरण में है और नागरिकों की राय को भी इसमें शामिल किया जा रहा है।

सीमांकन में IIPA की तकनीकी मदद, ड्रोन से होगी सर्वे प्रक्रिया

संभाग, जिला और तहसीलों की सीमाएं तय करने के लिए आयोग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (IIPA) की सहायता लेगा। IIPA ड्रोन तकनीक से सैटेलाइट इमेजरी तैयार करेगा और विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
इस रिपोर्ट में प्रशासनिक जरूरतों, जनसंख्या घनत्व और भौगोलिक परिस्थितियों का पूरा विश्लेषण शामिल होगा। हालांकि, अंतिम फैसला केवल इस तकनीकी रिपोर्ट पर आधारित नहीं होगा। आयोग नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को भी समान महत्व देगा।

पोर्टल से जनता के सुझाव, जनता की भागीदारी पर जोर

पुनर्गठन की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक रूप देने के लिए आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया है, जहां आम नागरिक अपने सुझाव और राय भेज सकते हैं। 25 जिलों में पहले ही जनसुनवाइयों का दौर पूरा किया जा चुका है और अब शेष जिलों में नागरिकों की प्रतिक्रिया जुटाई जा रही है। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि जनभावनाओं से जुड़ी हुई है, इसलिए नागरिकों की राय को विशेष महत्व दिया जा रहा है।

रीवा और मैहर की सीमाओं पर विवाद, छह गांवों को लेकर टकराव

इस पुनर्गठन का सबसे संवेदनशील पहलू रीवा और मैहर जिले की सीमा से जुड़ा विवाद है। आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि मैहर की अमरपाटन तहसील के छह गांव— मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा— को रीवा जिले में शामिल किया जाए। इस प्रस्ताव का मुख्य कारण मुकुंदपुर स्थित विश्व प्रसिद्ध व्हाइट टाइगर सफारी है, जिसे महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव ने स्थापित किया था। भौगोलिक रूप से मुकुंदपुर रीवा से करीब 20 किलोमीटर दूर है, जबकि मैहर से 65 किलोमीटर और सतना से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्थानीय ग्रामीण लंबे समय से मांग कर रहे थे कि प्रशासनिक सुविधा के लिए इन गांवों को रीवा से जोड़ा जाए।

मैहर में विरोध तेज, सांसद ने सीएम को लिखा पत्र

हालांकि, इस प्रस्ताव का मैहर में कड़ा विरोध शुरू हो गया है। सतना सांसद गणेश सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे मैहर जिले की सांस्कृतिक और भौगोलिक एकता को नुकसान पहुंचेगा। सांसद का यह भी आरोप है कि यह प्रस्ताव किसी “बड़ी साजिश” का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मुकुंदपुर की व्हाइट टाइगर सफारी मैहर की पहचान है, और इसे किसी भी हालत में रीवा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने दी सफाई

इस विवाद के बीच कई राजनीतिक बयानबाजी भी देखने को मिली। सतना और मैहर के कुछ नेताओं ने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला पर आरोप लगाए कि वे इस प्रस्ताव के पीछे हैं। हालांकि, डिप्टी सीएम शुक्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के अनुसार हो रही है और इसमें किसी व्यक्ति की भूमिका नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अफवाहों पर विश्वास न करें और प्रशासनिक निर्णयों का सम्मान करें।

दिसंबर 2025 तक होगा निर्णय

राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि पुनर्गठन की यह पूरी प्रक्रिया दिसंबर 2025 तक पूरी कर ली जाएगी। उसके बाद नए जिलों और तहसीलों का औपचारिक गठन होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य के विकास, प्रशासनिक दक्षता और जनसुविधाओं के विस्तार की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा।

मध्य प्रदेश प्रशासनिक पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है। नए जिले, नई तहसीलें और संभाग बनना यह संकेत देते हैं कि राज्य अब विकास के अगले चरण में कदम रख चुका है। हालांकि, रीवा-मैहर विवाद जैसे स्थानीय मुद्दे सरकार के लिए चुनौती बन सकते हैं। अब देखना होगा कि दिसंबर 2025 तक यह प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है और राज्य का नया नक्शा कैसा आकार लेता है।