छोटे से गांव में खबर फैल गई, वॉटर कूलर लगाने वाली किरण राठौर नहीं रही

इंदौर खंडवा रोड पर खंडवा से 30 किलोमीटर पहले छोटा सा गांव है, उसका नाम है बरुड। इस छोटे से गांव में चौराहे पर एक मंदिर बना हुआ है और यहीं पर हाट भी लगता है। इस मंदिर पर पहली बार किरण राठौर द्वारा एक वाटर कूलर 3 साल पहले लगाया गया, ताकि गांव वालों को ठंडा पानी मिल सके गांव के लोगों के लिए बहुत आश्चर्यजनक बात थी कि गांव की एक बेटी जो कि अब इंदौर में रहती है उसे गांव वालों के लिए शुद्ध पानी की कितनी चिंता है कि उसने अपने पैसों से यहां पर एक वाटर कूलर लगवा दिया।

जब अचानक यह खबर पहुंची कि वाटर कूलर लगाने वाली किरण राठौर इस दुनिया से चली गई तो गांव के लोग इकट्ठा हो गए वाटर कूलर और मंदिर के आसपास उनके लिए बहुत बड़ा झटका था, कि उनके गांव की इतनी चिंता करने वाली किरण राठौर अचानक कैसे जा सकती है ?

सभी ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की और कहा कि गांव के लोगों को शुद्ध पानी मिले इसके लिए अभी तक किसी ने भी चिंता नहीं की लेकिन किरण राठौर ने यहां पर एक अनोखी पहल की और वाटर कूलर बगैर किसी औपचारिकता के लगा दिया । गांव वालों ने यह भी कहा कि अगर वे रहती तो आगे भी गांव के लिए बहुत कुछ करती लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था ।

यह वाटर कूलर किरण राठौड़ द्वारा अपने पिता श्री कमलचंद जी राठौर तथा माता नत्थीबाई राठौर की स्मृति में लगाया गया था । अपने इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अगले साल राठौर समाज धर्मशाला खंडवा में अपने नानाजी दशरथ जी राठौर तथा नानी जी की स्मृति में लगवा दिया ।

अभी निधन के 2 महीने पहले उन्होंने एक वाटर कूलर इंदौर में समाजवादी इंदिरा नगर की राठौर धर्मशाला में लगवाया ताकि समाज के लोगों को शुद्ध पानी मिल सके । किरण राठौर का जीवन परिचय इस प्रकार है ।

मुश्किल से 5000 आबादी का गांव यहीं पर रहने वाले श्री कमलचंद जी राठौर के यहां किरण राठौर का जन्म हुआ उनकी माता नत्थीबाई अपने व्यवहार के कारण गांव में लोकप्रिय थी गांव में जन्म होने के बावजूद खंडवा में किरण राठौर की पढ़ाई अपने नानाजी सेठ दशरथ जी राठौर के यहां हुई।

उनका खंडवा में लकड़ी का पीठा था तथा वे उस समय काफी संपन्न व्यक्ति माने जाते थे। खारी बावड़ी में उनका घर था और किरण राठौर की प्रारंभिक पढ़ाई यहीं पर रहकर हुई यहां के शासकीय कन्या महाविद्यालय में प्रसिद्ध लेखिका डॉ कृष्ण अग्निहोत्री उनके गुरु रही।

उसके बाद इंदौर में पत्रकार अर्जुन राठौर के साथ उनका विवाह हुआ और फिर उन्होंने राठौर संदेश पत्रिका का कार्यभार संभाला जिसे वे पिछले -35 वर्षों से निभा रही थी उन्होंने अपने जीवन काल में इंदौर राठौर समाज में पहली बार परिचय सम्मेलन की शुरुआत की जिसके माध्यम से लगभग 700 रिश्ते तय हुए । उनके इस योगदान को राठौर समाज कभी भी नहीं भूल पाएगा।