जिसने ताउम्र नीति , न्याय और शिव आराधना के लिए जीवन जिया…वो थी लोकमाता पुण्यश्लोक महारानी अहिल्या…अहिल्या माता की 300 वीं जयंती के अवसर पर आओ संकल्प लें…उन्हीं की तरह जनहितार्थ जलस्रोतों की जीवन्तता का प्रकल्प लें…महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर समाज की उनकी युक्ति…पढ़े लिखे समाज की कामना लेकर महिला अशिक्षा से मिले मुक्ति…शस्त्र और शास्त्र ही देश को शक्ति सम्पन्न बनाने का अनुष्ठान है…शिल्प , कला , उद्यमिता और कौशल विकास में निहित जन – जन का उत्थान है…कुँए , बावड़ी और मंदिर महज धर्म और साधन नहीं है…मनुष्य के जीवन और अध्यात्म से उत्सर्ग का असली आराधन यही है…सत्ताधीशों सत्ता में रहो तो प्रजा की प्रसन्नता का उपाय करो…जब न्याय की वेदी पर बैठो तो नीर , क्षीर , विवेकी न्याय करो…ऐसे ही अनेक संदेश माता अहिल्या के सुशासन की लंबी फेहरिश्त है…अब तो खैरात बांटने के लिए सरकार चुका रही लोन की किश्त है…अहिल्या माता ने आत्मनिर्भर व स्वाभिमानी समाज के निर्माण की दिशा तय की…उनके शासन में सुरक्षा , व्यवस्था और समर्पण था जरूरत नहीं किसी भय की…आदर्श जीवन और सादगी जिनके आचरणों का पर्याय थी…दृढ़ इरादों से संकल्प की पूर्ति वाला वो खुद लम्बा अध्याय थी…प्रतिदिन प्रजा की न्यायपूर्ण सुनवाई और नीतिगत फैसले…अन्य क्षेत्रों से भी लोग न्याय की आस में मालवा चले…संघर्ष और कष्ट को जीवन पर कभी हावी नहीं होने दिया…विपरीत परिस्थिति में भी जनता के साथ न्याय किया…अल्पायु में परिणय , पुत्र – पुत्री सुख फिर वैधव्य का दुख…तकलीफों के बाद भी जो कभी अपने इरादों से नहीं हुई विमुख…अपने तीस वर्षीय शासन में वो इतिहास के अविस्मरणीय पल दे गई…ठहराव नहीं बहाव ही जिंदगी है इसके संस्मरण अविकल दे गई…महिलाओं के अधिकारों हेतु तर्क पूर्ण तथ्य रखकर पहल की…गद्दी पर बैठकर , सुनकर जिसने कठिन से कठिन समस्या भी हल की…विधवा विवाह हो या बाल विवाह निषेध…शिक्षा के क्षेत्र में स्त्रियों और पुरुषों के बीच मिटाया भेद…महिलाओं को उद्यमिता से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की योजना हो या हथकरघा उद्योग…सामाजिक उत्थान और महिला सशक्तिकरण हेतु किये अनेक प्रयोग…सचमुच अहिल्या माता मानव जाति के लिए वरदान थी…जिसने शिव की साक्षी में फैसले दिए वो इस युग की भगवान थी…उनके जन्म त्रिशताब्दि अवसर पर आओ मिलकर करें बुराइओं का दमन…लोकमाता पुण्यश्लोक महारानी अहिल्या के श्रीचरणों में नमन…