अक्सर हम सुनते है कि भगवान हनुमानजी का विवाह नहीं हुआ है और हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी है। लेकिन हमारे देश में एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमानजी के साथ उनकी पत्नी सुवर्चला की पूजा की जाती है। जी हां हम बात कर रहे है तेलंगाना के खम्मम जिले के एलंदु गांव मे स्थित श्री सुवर्चला सहिता हनुमान मंदिर की। इस मंदिर के गर्भ गृह में हनुमानजी अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। ये मंदिर ना केवल दक्षिण भारत बल्कि पूरे भारत में एक मात्र है। जहां भगवान हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला देवी की आरधना की जाती है। हालाकि उत्तर भारत और मध्य भारत में रहने वाले लोगो के लिए यह मंदिर बहुत ही आश्चर्य की बात है। क्योंकि वे हनुमानजी को बाल ब्रह्मचारी के रूप मे पूजते आए है।
आइए आपको इस मंदिर की पौराणिक मान्यताओ के बारे में बताते है…………..
मान्यता है कि भगवान सूर्य देव हनुमानजी के गुरू है। भगवान सूर्यदेव के पास 9 दिव्य विद्याएं थी। हनुमानजी इन सभी विद्याओं का अध्ययन करना चाहते थे। लेकिन सूर्यदेव हनुमानजी को 9 विद्याओ में से 5 विद्याएं ही सिखा सकते थे। क्योंकि बाकी की 4 विद्याएं उन्ही शिष्यो को दी जाती सकती थी जो विवाहित हो। लेकिन हनुमानजी तो अविवाहित थे, इसलिए वे 4 विद्या और नहीं सीख पा रहे थे। क्योंकि विद्या ग्रहण के समय हनुमानजी को कुछ समय ग्रहस्थ आश्रम में बिताना था। तब सूर्यदेव ने हनुमानजी को विवाह करने का सुझाव दिया।
सूर्यदेव की पुत्री से हुआ हनुमानजी का विवाह
तो पहले तो हनुमानजी विवाह के लिए बिल्कुल भी नहीं माने। हनुमान जी ने अपने गुरू सूर्यदेव को कहा कि “मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूं, फिर मैं कैसे विवाह कर सकता हूं।” तब भगवान सूर्यदेव ने कहा कि शेष 4 विद्याएं केवल विवाहित को ही मिल सकती है। सूर्यदेव ने कहा कि आप मेरी पुत्री से विवाह करने के बाद ब्रह्मचारी और तपस्वी ही रहेगे। तब हनुमानजी ने अपने गुरू के इस सुझाव को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद भगवान सूर्यदेव ने अपनी पुत्री सुवर्चला देवी के साथ हनुमानजी का विवाह करवा दिया। विवाह के बाद हनुमान जी और सुवर्चला देवी दोनो ही अपनी अपनी तपस्या के लिए वापस लौट गए। पौराणिक मान्यता है कि ये विवाह केवल हनुमानजी को बाकी 4 सिद्धियो की प्राप्ति के लिए कराया गया था।
यहां दर्शन करने से शादी की बाधाएं होती है खत्म
इस मंदिर की स्थापना सन् 2006 में हुई थी। हर साल ज्येष्ठ शुद्ध दशमी पर यहां के स्थानीय लोग भगवान हनुमानजी के विवाह का उत्सव मनाते है। इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में भगवान हनुमान और देवी सुवर्चला की पुजा-अर्चना करते है उनके विवाह से संबंधिंत बाधाएं खत्म हो जाती है। हनुमानजी की कृपा से रोजगार और व्यापार मे गति आ जाती है। इसलिए देश के कोने-कोने से भक्त इस मंदिर में हनुमानजी और देवी सुवर्चला के दर्शन करने आते है।