जब भी इंदौर में कोई बड़ा आयोजन होता है, सरकार की सबसे पहली और आखिरी उम्मीद होती है कि हर कार्यक्रम अच्छे से पूरा हो जाए। इसी के चलते अब मध्यप्रदेश के चेहते प्रशासनिक अधिकारी में कलेक्टर आशीष सिंह का नाम प्राथमिकता से दर्ज हो गया है। मोहन सरकार की हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि जब नेतृत्व मजबूत हो, तो आयोजन सिर्फ सफल नहीं होते बल्कि ऐतिहासिक बन जाते हैं। जो इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने कर इंदौर शहर का नाम इतिहास में दर्ज कर दिया।
अपनी अदभूत कार्यशैली का करते है प्रदर्शन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खास पसंद बन चुके आशीष सिंह ने इस बार मौहन कैबिनेट में कमाल कर दिखाया। शहर की सड़कों से लेकर सभागृह की हर कुर्सी तक, हर छोटी-बड़ी चीज़ पर उन्होंने खुद नजर रखी। उनके काम करने के अंदाज़ ने इंदौर में प्रशासन और राजनीति के बीच एक ऐसा तालमेल बना दिया। जो आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन गया।
प्रशासन अधिकारियों में भी घुली हुई है शक्कर
पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह हों या संभागायुक्त दीपक सिंह, सभी के साथ कलेक्टर की ट्यूनिंग ऐसी है जैसे पानी के अंदर शक्कर घुली हो। ऐसा महसूस कराती जैसे एक सुर में बजता हुआ संगीत हो। इसमें नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा तो मानों कलेक्टर के हर कार्य में उनकी परछाईं बनकर कदमताल करते नजर आते है। यह इंदौर के लिए गौरव की बात है जब सभी अधिकारियो का तालमेल मिलता है तो इंदौरका हर कार्य तेज गति से होता चला जाता है।
“मोहन” के विश्वास पर खरा उतरते “आशीष”
मुख्यमंत्री मोहन यादव का का भरोसा इस हद तक है कि उन्होंने आशीष सिंह को एक साथ दो-दो बड़ी जिम्मेदारियां सौंप दीं — इंदौर कलेक्टर की भूमिका के साथ-साथ उज्जैन सिंहस्थ जैसे ऐतिहासिक मेले के मेला अधिकारी की जिम्मेदारी भी। यह प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी कलेक्टर को यह दोहरी भूमिका मिली है। यह साफ संकेत है कि उनके प्रमोशन के बाद जनवरी-फरवरी 2026 में सिंहस्थ की पूरी कमान आशीष सिंह के हाथों में होगी।
राजवाड़ा में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में उन्होंने सिर्फ व्यवस्था नहीं संभाली, बल्कि एक सोच को भी जन्म दिया। वीआईपी संस्कृति की चमक-धमक छोड़कर लकड़ी की थाली, कटोरी और गिलास से सादगीपूर्ण भोजन का इंतजाम कराया गया। साधारण लेकिन शाही अंदाज़ यही था इस आयोजन का असली स्वाद! आयोजन इतना भव्य और व्यवस्थित था कि मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्री भी गद्गद हो उठे। और जब सब कुछ सफलतापूर्वक निपट गया, तो अफसरों के चेहरों पर राहत और गर्व की झलक साफ दिखी।