स्वतंत्र समय, शिमला
हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई राजनीति ( Politics ) की हलचल थमने का नाम ही नहीं ले रही है। गुरुवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के 6 बागी विधायकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने ये फैसला कांग्रेस की ही याचिका पर सुनाया है। विधानसभा स्पीकर ने ये फैसला दलबदल कानून के तहत सुनाया है और सभी विधायकों अयोग्य करार कर दिया है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा, विधानसभा में बजट पारित करने के समय ये विधायक मौजूद नहीं थे। मैंने उनको अयोग्य घोषित कर दिया है। ये विधायक किसी और पार्टी से जीतते हैं और किसी और विधायक को वोट करते हैं। बता दें कि जिन विधायकों को अयोग्य करार कर दिया गया है, उन्होंने मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। इन सभी विधायकों ने भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था, जिस वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था।
अगर नहीं मिली कोर्ट से राहत तो हो सकते हैं उपचुनाव
विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्य करार किए गए विधायकों को अगर कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती है, तो प्रदेश में उपचुनाव की स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसी स्थिति होने पर इन सभी छह सीटों पर उपचुनाव होंगे और यह सभी विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव लड़ सकते है।
इन विधायकों की गई सदस्य्ता
जिन विधायकों की दलबदल कानून के तहत सदस्यता रद्द की गई है, उनमें धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र भुट्टो, गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर और बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल शामिल हैं।
हिमाचल की Politics, खतरे में थी ‘सुख’ सरकार
राज्यसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेशकी राजनीति ( Politics ) में हलचल मच गई थी, ऐसे में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर भी संकट के बादल छा गए थे। क्रॉस वोटिंग करने वाले छह विधायकों के साथ-साथ सरकार का समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी थी और विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर इस बगावत की आग में और घी डालने का काम किया था। एक और राज्य में अपनी सरकार में बगावत के उठते हुए सुर देखकर कांग्रेस अलर्ट हो गई और आलाकमान ने डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा, जिन्होंने विक्रमादित्य सिंह को मनाकर उनसे इस्तीफा वापस लेने का ऐलान करवाया और अन्य विधायकों से बात कर बगावत की बढ़ती आग को ठंडा कर दिया।