छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित जतवा डोंगरी पहाड़ी एक रहस्यमयी स्थल के रूप में जानी जाती है। मनेंद्रगढ़ से लगभग 132 किमी दूर भरतपुर ब्लॉक के घघरा गांव के पास स्थित इस पहाड़ी को लेकर कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां की गुफाएं, चट्टानें और सुरंगें ऐसी पहेलियां समेटे हुए हैं, जिन्हें आज तक कोई पूरी तरह सुलझा नहीं सका। कहा जाता है कि यहां एक सुरंग ऐसी भी है, जिसमें किसी आपातकाल की स्थिति के लिए पहले से तीन दिन का राशन छिपा कर रखा गया है। यह बात लोगों के मन में कई सवाल खड़े करती है – क्या कभी यहां युद्ध हुआ था? या फिर कोई प्राकृतिक आपदा की आशंका थी?
दैविक शक्तियों का गढ़ है घघरा गांव
घघरा गांव जहां यह जतवा डोंगरी पहाड़ी स्थित है, सदियों से दैविक शक्तियों का केंद्र माना जाता है। यहां की हर चट्टान, हर मूर्ति और मंदिरों के अवशेष लोगों को चमत्कृत कर देते हैं। गांव में कई ऐसे स्थल हैं, जहां लोग मानते हैं कि दैवीय शक्तियों का वास है। स्थानीय लोग इन जगहों पर पूजा-पाठ करते हैं और उनकी गहरी आस्था है कि यह स्थल उन्हें संकटों से बचाते हैं। इन मान्यताओं के चलते यह क्षेत्र धार्मिक और रहस्यमयी पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है।
क्या यहां छिपा है खजाना?
स्थानीय जनमानस और परंपराओं के अनुसार, जतवा डोंगरी पहाड़ी के भीतर कहीं खजाना छिपा हुआ है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस पहाड़ी में बहुत गहराई में कई गुप्त सुरंगें हैं, जिनमें पुराने समय के राजा-महाराजाओं द्वारा खजाना छिपाया गया था। कुछ जगहों पर खुदाई के दौरान प्राचीन धातु के पात्र, अस्त्र-शस्त्र और मूर्तियां भी मिली हैं, जिससे इन कथाओं को और बल मिलता है। हालांकि आज तक खजाने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन इन कहानियों ने लोगों की जिज्ञासा को जिंदा रखा है।
रहस्यमयी पर्यटन स्थल के रूप में उभरता जतवा डोंगरी
आज जतवा डोंगरी पहाड़ी न केवल एक रहस्य से भरी जगह है, बल्कि यह अब धीरे-धीरे एक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभर रही है। यहां आने वाले पर्यटकों और शोधकर्ताओं को हर बार कुछ नया देखने और जानने को मिलता है। पहाड़ी की खूबसूरती और रहस्य मिलकर इसे एक अनोखी जगह बना देते हैं। प्रशासन यदि इस क्षेत्र को संरक्षित और विकसित करे, तो यह स्थान इतिहास प्रेमियों और रोमांच के शौकीनों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन सकता है।