आयुष्मान में हेराफेरी – ‘साइलेंट स्ट्राइक टीम’ ने मचाया इंदौर के अस्पतालों में हड़कंप!

बिना किसी शोर-शराबे के, पूरी तरह से गोपनिय छापामार कार्रवाई इंदौर के कई निजी अस्पतालों में की गई है। इसके साथ ही आयुष्मान योजना से जुड़े इंदौर के नामी निजी अस्पतालों में शनिवार को ऐसी कार्रवाई हुई, जिसने शहर की हेल्थ इंडस्ट्री में हलचल मचा दी। भोपाल से आई 26 अधिकारियों की ‘स्पेशल टीम’ ने इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई जैसी स्टाइल में सुबह 9 बजे से लेकर रात 8 बजे तक कई अस्पतालों में अचानक धावा बोल दिया। जिसकी भनक तक किसी को नहीं लगने दी। इस छापामार कार्रवाई की भनक मीडिया को न  लगे ऐसे तमाम प्रयास भी किए गए थे।

आयुष्मान योजना के नाम पर कितना खेल?
भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा किए जा रहे क्लेम और उनके ऑनलाइन रिकॉर्ड्स का टीम द्वारा सत्यापन ऑपरेशन किया जा रहा है। जिसके चलते यह असल में एक ‘ऑडिट रेड’ थी। टीम को शक था कि इलाज के नाम पर बिलों में भारी गड़बड़झाला किया जा रहा है। इलाज के नाम पर 100 रूपए के इलाज के 1000 हजार रूपए का बिल बना कर सरकार को निजी अस्पताल चुना लगाने में जुटे है। तमाम तरह की कमीशन खोरी खाने के बाद भी निजी अस्पताल सरकार के खजाने को चपत लगा रहे है। भोपाल से आए करीब 12 वरिष्ठ अधिकारी पहले ही इंदौर पहुंच चुके थे, और अगले ही दिन 14 स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर 13 टीमों में बंट गए। हर टीम को 4-5 अस्पतालों की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद मिशन शुरू हुआ, बिना कोई भनक लगे।

जिन अस्पतालों में चली ‘ऑन-स्पॉट रेड’-
टी चौइथराम, सीएचएल केयर, ओ-2 हॉस्पिटल, किब्स, मेडिकेयर स्क्वायर, गोकुलदास, राजश्री, अपोलो वेदांत, सलूजा आई केयर, भंडारी, इंडेक्स, गीता भवन, एमिनेंट, शंकर आई हॉस्पिटल, वर्मा यूनियन, बांठिया हॉस्पिटल, एसएनजी, और वी-वन हॉस्पिटल जैसे दर्जनों अस्पतालों की फाइलें, सर्वर, रिकॉर्ड्स सब खंगाले गए।

मिशन के मास्टरमाइंड्स रहे ये डॉक्टर्स
इस पूरे ऑपरेशन की कमान संभाली थी भारत आयुष्मान योजना के अनुभवी अधिकारी डॉक्टर योगेश भरसट ने, जो उस दिन शहर में कलेक्टर आशीष सिंह के साथ कैशलेस दुर्घटना योजना पर मीटिंग में थे। कार्रवाई का संचालन कर रही टीम में डॉक्टर इंद्रजीत सिकरवार, डॉ अरविंद गढ़वाल, डॉ नवीन दीवान, डॉ रोहित पंत, डॉ रविंद पाल, डॉ अंकित सिंह परिहार, डॉ ऋषिराज सिंह, डॉ अक्षत मंडलोई, डॉ सुदीप सरकार, डॉ अविचंद्र गोलाईत, डॉ धर्मेंद्र राजपूत और डॉ पवित्रा सेठ जैसे धुरंधर विशेषज्ञ शामिल थे। इसके अलावा टीम में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स, हेल्थ इंश्योरेंस प्रोफेशनल्स, आईटी सलाहकार और बिजनेस एनालिस्ट भी थे, जिनका मकसद सिर्फ एक था कमीशन और घोटाले बाजी पर अंकुश लगाना

निजी अस्पतालों की पहचान छुपा रही टीम
टीम की छापामार कार्रवाई में क्या मिला  कौन सा अस्पताल नियमों से खेलता मिला और किसने ईमानदारी दिखाई। इस पर फिलहाल टीम ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन सूत्रों की मानें, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो आने वाले समय में बड़े खुलासों का संकेत दे रहे हैं।

आयुष्मान कार्ड क्लीन-अप की हुई शुरूआत
आयुष्मान योजना को चला कर केन्द्र सरकार गरीबों को बेहत्तर इलाज देने का प्रयास कर रही है लेकिन इसके विपरीत निजी अस्पताल घोटाले कर रहे है। इसी को लेकर अब टीम शहर के अस्पतालों के दस्तावेज़ों में छिपे सच की परतें खोलेगी। जो भी इसमें दोषी पाया गया, उसकी सेहत अब सरकारी नियमों के हाथों “इलाज के नाम पर जवाबदेही” के तहत ठीक की जाएगी!