एमपी में सरकारी सेवा का ढांचा बदला, 10 की जगह अब 5 कैटेगरी में होंगे पद, कर्मचारियों को मिलेगी बड़ी राहत

मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के पदों के वर्गीकरण को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। राज्य शासन ने उन पद श्रेणियों को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिनकी मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था में अब आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही थी। अब तक सरकारी सेवाओं में पदों की कुल 10 कैटेगरी मौजूद थीं, लेकिन इनमें से केवल 5 आवश्यक श्रेणियों को यथावत रखा गया है, जबकि शेष 5 कैटेगरी को खत्म कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से सेवा नियमों में सरलता आएगी और कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाली दिक्कतों से राहत मिलेगी।

लाखों कर्मचारियों को मिलेगा सेवा लाभ का फायदा

इस निर्णय का सीधा असर राज्य के लाखों कर्मचारियों पर पड़ेगा। अब तक पदों के जटिल वर्गीकरण के कारण वेतन, प्रमोशन, पेंशन और अन्य सेवा लाभों को लेकर कई तरह की प्रशासनिक उलझनें सामने आती थीं। खासतौर पर रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। सरकार के इस फैसले से इन प्रक्रियाओं को आसान और पारदर्शी बनाने की कोशिश की जा रही है।

ये 5 प्रमुख कैटेगरी रहेंगी यथावत

राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब सरकारी विभागों में केवल पांच प्रमुख श्रेणियों के पद ही बनाए रखे जाएंगे। इनमें नियमित (Regular), संविदा (Contractual), आउटसोर्स (Outsourced), अंशकालीन (Part-Time) और एक अन्य आवश्यक श्रेणी शामिल है। इन कैटेगरी के तहत आने वाले पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तें पहले की तरह ही लागू रहेंगी।

खत्म की गई श्रेणियों को लेकर कर्मचारियों में चिंता

हालांकि इस फैसले के बाद कर्मचारियों के बीच असमंजस की स्थिति भी बन गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिन पद श्रेणियों को समाप्त किया गया है, उन पर पहले से कार्यरत कर्मचारियों का क्या होगा। क्या उन्हें अन्य श्रेणियों में समायोजित किया जाएगा या उनके सेवा नियमों में कोई बदलाव होगा—इस पर सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश सामने नहीं आए हैं। इसी अनिश्चितता के चलते निचले स्तर के कर्मचारी खासे चिंतित नजर आ रहे हैं।

ये श्रेणियां की गईं समाप्त या मानी जा रहीं अप्रचलित

सरकारी सूत्रों के अनुसार जिन पद श्रेणियों को समाप्त किया गया है या अप्रचलित माना गया है, उनमें कार्यभारित स्थापना (Work-Charged Establishment) और आकस्मिक स्थापना (Contingency Establishment) को सांख्येतर यानी एक्स-कैडर घोषित किया गया है। वहीं अस्थायी पदों के मामले में स्थायी और अस्थायी के बीच का अंतर समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा दैनिक वेतन भोगी या मस्टर रोल जैसे पदों को भविष्य में अन्य श्रेणियों में समाहित करने या इन पर नई नियुक्तियां रोकने की संभावना जताई जा रही है।

सरकार के स्पष्टीकरण का इंतजार

फिलहाल कर्मचारी संगठनों और विभागीय स्टाफ की नजरें सरकार के अगले निर्देशों पर टिकी हुई हैं। कर्मचारियों को उम्मीद है कि राज्य शासन जल्द ही स्थिति स्पष्ट करेगा, ताकि उन्हें अपने भविष्य को लेकर किसी तरह की असुरक्षा या भ्रम का सामना न करना पड़े। सरकार का कहना है कि यह निर्णय कर्मचारियों के हित में लिया गया है और आगे भी उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।