शांति का आतंकी छलावा: युद्ध विराम लेकिन नहीं विश्राम

– राजकुमार जैन, स्वतंत्र विचारक

10 मई, 2025 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया, जब चार दिनों तक चले भीषण सैन्य संघर्ष के बाद भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम की घोषणा की। यह सामरिक शांति समझौता भारत की कूटनीतिक और सैन्य शक्ति की विजय का प्रतीक बना, जिसने भारतीय नागरिकों को राहत प्रदान की।

हालांकि, समझौते के कुछ ही घंटों बाद श्रीनगर और जम्मू में हुए विस्फोटों ने यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान शांति की प्रक्रिया में विश्वास नहीं रखता। ये घटनाएं पाकिस्तान की कायरता और आतंकवाद के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं, जिससे भारत को सतर्क और सशक्त रहने की आवश्यकता और बढ़ गई है।

इस संघर्ष की जड़ भारतीय कश्मीर में हिंदू पर्यटकों पर हुआ एक क्रूर आतंकवादी हमला था, जिसके पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी तत्वों का हाथ था। इस कायरतापूर्ण कृत्य के जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तानी कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए सटीक और प्रभावी सैन्य कार्रवाई की गई। यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और अपनी संप्रभुता की रक्षा के संकल्प का प्रतीक था। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपनी कमजोरी छिपाने के लिए इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार देकर अनावश्यक शोर मचाया और जवाबी कार्रवाई की। चार दिनों तक चले इस संघर्ष में 66 लोगों की जान गई, और दोनों परमाणु-संपन्न देश पूर्ण युद्ध की कगार पर पहुंच गए।

भारत की सेना ने इस संघर्ष में अपनी अद्वितीय शक्ति और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया, जिसके चलते पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा। अमेरिका ने मध्यस्थता का प्रयास किया, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यह समझौता उसकी अपनी शर्तों पर हुआ, न कि किसी बाहरी दबाव के कारण। यह भारत की स्वतंत्र और सशक्त विदेश नीति का प्रमाण है, जिसने वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को मजबूत किया। वहीं, पाकिस्तान ने अमेरिकी भूमिका को स्वीकार कर अपनी निर्भरता और कमजोरी को उजागर किया।

विश्व समुदाय ने भारत की इस सफलता का स्वागत किया, और संयुक्त राष्ट्र ने इसे “शांति की दिशा में सकारात्मक कदम” बताया। 36 देशों ने इस समझौते का समर्थन किया, क्योंकि परमाणु युद्ध का खतरा वैश्विक चिंता का विषय बन गया था। लेकिन युद्धविराम के तुरंत बाद पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित विस्फोटों ने इस शांति की नींव को कमजोर कर दिया। ये घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि पाकिस्तान शांति नहीं चाहता और आतंकवाद के जरिए क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देना जारी रखना चाहता है।

पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और अस्थिरता ने दोनों पड़ोसी मुल्कों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पहले से ही न्यूनतम है, लेकिन पाकिस्तान की अस्थिरता बनाए रखने की साजिश ने इसे और कमजोर किया है। युद्धविराम के बाद व्यापार की संभावना थी, लेकिन हालिया विस्फोटों ने इस प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया।

क्षेत्र में बढ़ते तनाव एवं राजनीतिक और सामरिक अस्थिरता के कारण निवेशकों का विश्वास डगमगा रहा है, जिससे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्रभावित हो सकता है। भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करना होगा।

पाकिस्तान के खिलाफ रक्षा के लिए भारत को अपने सैन्य बजट को बढ़ाना पड़ रहा है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों के लिए संसाधन सीमित होने की संभावना है।

कश्मीर, जो भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित हो रहा है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है।

निरंतर अस्थिरता वैश्विक ऊर्जा कीमतों को प्रभावित कर सकती है, जिससे तेल आयातक देशों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
पाकिस्तान के अड़ियल रवैए के कारण उत्पन्न अनिश्चितता से दोनों देशों की मुद्रा कीमतों में उतार-चढ़ाव की आशंका है, जो आयात-निर्यात को प्रभावित करेगा।
इस संघर्ष के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। इसलिए, भारत को अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने पर ध्यान देना होगा।

भविष्य की स्थिति कई कारकों पर निर्भर करती है, लेकिन भारत की सतर्कता और शक्ति इसमें निर्णायक भूमिका निभाएगी।12 मई को होने वाली सैन्य वार्ता संवाद का रास्ता खोल सकती है, लेकिन पाकिस्तान की नीयत पर संदेह बना रहेगा।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र, भारत के पक्ष में है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है।श्रीनगर और जम्मू में पाकिस्तान प्रायोजित विस्फोट इस बात का प्रमाण हैं कि आतंकवादी ताकतें शांति की राह को बाधित करना चाहती हैं।

विश्व समुदाय का समर्थन भारत के साथ है, और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर किया जा रहा है। और पाकिस्तान को धीरे-धीरे अलग-थलग किया जा रहा है।लेकिन कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का अविश्वसनीय रवैया और चीन का समर्थन क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है।
भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम जारी रखने होंगे।

युद्धविराम भारत की कूटनीतिक और सैन्य श्रेष्ठता का प्रतीक है, लेकिन पाकिस्तानी नेतृत्व के नापाक इरादे, कुटिलता, कायरता और आतंकवाद के प्रति उसकी प्रतिबद्धता ने इस शांति को खतरे में डाल दिया है। भारत को सतर्क रहना होगा और अपनी सेना को और भी सशक्त करना होगा। हमें संपूर्ण विश्व को यह संदेश देना है कि शांति का दौर तभी कायम रहेगा जब पाकिस्तान आतंकवाद को छोड़े, वरना यह एक क्षणिक विराम ही साबित होगा।