जीवन के कैनवास में खुशियों के रंग भरने आए नवदंपत्ति के जीवन में आंतकवादियों ने भर दिए खून के रंग

वो पल… जब किसी की आंखों में नए जीवन की चमक थी, जब दिलों में भविष्य के सुनहरे ख्वाब पल रहे थे, तब किसे पता था कि बायसरन घाटी की वादियों में खुशियों की जगह चीखें गूंजेंगी। वो नवविवाहित जोड़े, जो अपने जीवन के कैनवास में प्रेम और उमंग के रंग भरने निकले थे, उन्हें क्या मालूम था कि तक़दीर उनके लिए खून का रंग चुन चुकी है।
सोशल मीड़िया पर दिल दहला रही तस्वीर
हरियाणा के 26 वर्षीय नौसेना अधिकारी विनय नरवाल, जिनकी शादी 16 अप्रैल को हुई थी, 19 अप्रैल को अपनी पत्नी हिमांशी के साथ पहलगाम की वादियों में जीवन के सबसे खूबसूरत पलों को जीने निकले थे। मगर, आतंक के उस साए ने वह सब छीन लिया। अब सोशल मीडिया पर जो तस्वीर वायरल है, उसमें हिमांशी अपने जीवनसाथी की निःशब्द पड़ी देह के पास चुपचाप बैठी हैं। आंखें सूनी हैं, चेहरे पर गहरी थकान है – जैसे सारे सवाल वहीं ठहर गए हों। उसकी बस एक ही गुहार है – “आखिर हमारा कसूर क्या था?”

हाथों की मेंहदी देख सिसक उठती है ऐशन्या
इसी हमले में कानपुर के शुभम द्विवेदी भी मारे गए। शादी को दो महीने ही हुए थे। पत्नी ऐशन्या के संग छुट्टियां मनाने आए थे, लेकिन किसे पता था ये सफर आखिरी होगा। गोलियों की बौछार के बीच ऐशन्या अपने सुहाग के सामने हाथ जोड़ती रही, गिड़गिड़ाती रही – “उसे मत मारो, वो निर्दोष है…” मगर आतंकियों के दिल पर कोई असर नहीं हुआ। पति को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते देख वो सदमे में चली गई। आज भी जब वो अपने हाथों की मेंहदी देखती हैं, तो हर रंग एक टीस बनकर उभरता है। वो रंग जो कभी खुशियों की निशानी था, आज सिर्फ शोक का प्रतीक बन गया है।

आंखों से बहते आंसू दे रहे आतंक की बर्बरता की गवाही
इन दोनों महिलाओं की आंखों से बहते आंसू आतंक की उस बर्बरता की गवाही देते हैं, जिसने प्यार, उम्मीद और जीवन को नष्ट कर दिया। उनकी सिसकियों में वो हर सवाल छुपा है जो हर भारतीय के दिल में उठता है – आखिर कब तक मासूमों की जिंदगी यूं बेवजह लूटी जाती रहेगी?