38 वोटरों के गांव का Voting बूथ 12 किलोमीटर दूर पैदल ही रास्ता… इसलिए आए महज चार वोटर

स्वतंत्र समय, औरंगाबाद

औरंगाबाद जिले में लोकसभा चुनाव 2024 में यातायात के साधनों के अभाव का असर वोटिंग ( Voting ) पर पड़ा। इस वजह से औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड में लंगुराही पहाड़ के दुर्गम जंगली इलाके के ढकपहरी गांव के मात्र चार वोटर ही वोट डाल पाए। इस गांव में कुल 38 मतदाता हैं और इनका बूथ इनके गांव से करीब 12 किमी. दूर राजकीय मध्य विद्यालय छालीदोहर- सडिय़ार में स्थित है, जिसका बूथ नंबर 367 है।

सीआरपीएफ का है कैंप

अति नक्सल प्रभावित इस इलाके में सीआरपीएफ का कैंप है और कैंप तक जाने के लिए सडक़ भी नक्सल ऑपरेशन को संचालित करने के उदेश्य को पूरा करने के लिए ही बनी है। इस रास्ते में पडऩे वाले लंगुराही, पचरुखिया, ढक़पहरी एवं अन्य गांवों के लोग इसी रास्ते का आवागमन के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस इलाके के लोगों के लिए पैदल ही सफर करना नियति है क्योंकि सडक़ होने के बावजूद टेम्पो जैसे छोटे वाहन तक नहीं चलते हैं। इसी वजह से इस रास्ते का इस्तेमाल करते हुए गांव के 38 में से महज चार वोटर 18 किमी. की दूरी पैदल तय कर बूथ पर आए और लोकतंत्र के मतदान के महापर्व में अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

यातायात के साधनों का अभाव झेल रहे नक्सल प्रभावित इलाके

एक समय वह भी था जब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सडक़ें नही थी। इस कारण नक्सलियों को भी अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में सहुलियत होती थी। इतना ही नही अपनी गतिविधियों को सुगमता से संचालित करने के लिए नक्सली बनी-बनाई सडक़ों को भी काट कर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया करते थे। परिस्थितियां बदली नक्सल इलाकों में सीआरपीएफ, कोबरा, एसएसबी और स्थानीय पुलिस का संयुक्त ऑपरेशन शुरू हुआ। इलाके में सशस्त्र बलों के कैंप स्थापित हुए। नक्सल ऑपरेशन के संचालन के लिए सडक़े भी बनी। सडक़ों के बनने से यातायात के लिए सुगम मार्ग उपलब्ध हुआ लेकिन यातायात के साधनों की कमी रह गई। आज भी कमी है। इस वजह से मतदान के दिन ही नही सुदूरवर्ती दुर्गम जंगली- पहाड़ी इलाकों के लोग आज भी पैदल यात्रा करने पर मजबूर है।