करुणा, संवेदना और जागरूकता लेकर एक मंच पर आए ‘वेल ऑफ डॉग्स फाउंडेशन’ व ‘मूव फील ब्रीद’

कभी-कभी जीवन की तेज़ रफ्तार में हमें खुद से मिलने का भी समय नहीं मिलता। लेकिन जब हम ठहरते हैं, साँसों को गहराई से महसूस करते हैं और अपने दिल की आवाज को सुनते हैं, तब हमें एहसास होता है कि जुड़ाव सिर्फ इंसानों से नहीं, बल्कि इस धरती पर साँस ले रहे प्रत्येक जीव से है। यही एहसास वेल ऑफ़ डॉग्स फाउंडेशन और मूव फील ब्रीद, रविवार को इंदौर के स्टूडियो इन ग्रे में आयोजित एक कार्यक्रम के माध्यम से लेकर आए, जहां प्रतिभागियों को न केवल योग व ध्यान के जरिये अपने भीतर और बाहर की दुनिया से गहराई से जुड़ने का अवसर मिला, बल्कि स्ट्रीट डॉग्स के प्रति सहानुभूति और जागरूकता की भावना से भी अवगत होने का मौका मिला।

2022 में इंदौर से शुरू हुए वेल ऑफ डॉग्स फाउंडेशन ने बेहद कम समय में स्ट्रीट डॉग्स की देखभाल, उपचार और रेस्क्यू के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। तेजस्विनी और देवांश की छोटी पहल आज एक बड़े परिवार में बदल चुकी है, जहाँ वॉलंटियर्स और पशुप्रेमी मिलकर स्ट्रीट डॉग्स के जीवन को बेहतर बनाने का सपना जी रहे हैं। इसी तरह, मूव फील ब्रीद, मनस्वी और प्रियंका द्वारा शुरू किया गया एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो आत्म मंथन व खुद से जुड़ने की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह विभिन्न अभ्यासों और गतिविधियों के जरिए व्यक्तियों को स्वयं को समझने और दूसरों के साथ भावनात्मक स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

इस अवसर पर तेजस्विनी और देवांश ने कहा, “मूव फील ब्रीद एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो खुद को समझने और अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से जाहिर करने का अवसर देता है। दया और संवेदनशीलता की शुरुआत हमारे अंदर से ही होती है, और जब यह व्यवहार में उतरता है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव न केवल इंसानों पर, बल्कि उन सामुदायिक पशुओं पर भी पड़ता है, जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं।”

इस मौके पर मनस्वी और प्रियंका ने संयुक्त रूप से कहा, “मूव फील ब्रीद में कनेक्शन का मतलब सिर्फ इंसानों से नहीं बल्कि हमारे आसपास के सभी जीवों से है। स्ट्रीट डॉग्स भले हमारी भाषा नहीं बोलते, लेकिन उनका प्यार और हीलिंग मौजूदगी हम साफ महसूस कर सकते हैं। वे हमें रोज़ याद दिलाते हैं कि मूव फील ब्रीद कुछ और नहीं बल्कि आजादी से दौड़ने, दिल से प्यार करने और खुलकर जीने के बारे में है।”

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने योग, ब्रेथवर्क और मेडिटेशन जैसी गतिविधियों के जरिये आत्म-चिंतन किया। इस सेशन का उद्देश्य प्रतिभागियों को यह समझाना था कि सहानुभूति केवल इंसानों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे हमारे आसपास रहने वाले अन्य जीवों तक भी ले जाना आवश्यक है। इस दौरान विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को डॉग्स की देखभाल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ जैसे पैक्ड बिस्किट, फ्राइड फूड और पकी हुई चिकन की हड्डियाँ उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकती हैं, भी दीं।

यह कार्यक्रम न केवल मानसिक और भावनात्मक संतुलन की ओर ध्यान आकर्षित करने वाला रहा, बल्कि पशु-कल्याण को लेकर जागरूकता बढ़ाने वाला भी साबित हुआ। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मूव फील ब्रीद और वेल ऑफ डॉग्स का सहयोग हमें सिखाता है कि आत्म-जुड़ाव और जीवों के प्रति संवेदनशीलता, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हैं।