छुट्टी के दिन भी चला न्याय का पहिया, 350 जमानत याचिकाओं पर आए निर्णय

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद अभूतपूर्व पहल की गई। पहली बार एक साथ आठ विशेष पीठ (स्पेशल बेंच) बैठीं और सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक लंबित जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान करीब 600 मामलों पर सुनवाई हुई और इनमें से लगभग 350 जमानत याचिकाओं पर निर्णय सुनाए गए। हालांकि तय की गई 10 बेंचों में से 2 किसी कारणवश नहीं बैठ पाईं। अब अगले शनिवार को फिर विशेष बेंचों की बैठक होगी ताकि शेष करीब 3 हजार लंबित जमानत याचिकाओं का निपटारा किया जा सके।

बार एसोसिएशन की पहल से शुरू हुई विशेष सुनवाई

इस विशेष कदम की शुरुआत तब हुई जब हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके जैन और सचिव परितोष त्रिवेदी ने मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। इसमें लंबे समय से अटके जमानत मामलों को शीघ्र निपटाने का आग्रह किया गया था। मुख्य न्यायाधीश ने इस मांग को स्वीकार करते हुए छुट्टी के दिन विशेष बेंच गठित करने का निर्णय लिया। शुरुआत में 10 बेंच बनाने की योजना बनी, जिसे बाद में घटाकर 8 किया गया।

बढ़ती लंबित याचिकाओं पर चिंता

एसोसिएशन के सचिव परितोष त्रिवेदी ने बताया कि लंबे समय से जमानत याचिकाओं और अन्य जरूरी मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही थी, जिससे जेलों में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जब किसी को दो-तीन माह बाद जमानत मिलती है तो वह समय पर न्याय नहीं कहलाता। यही वजह है कि विशेष बेंच की जरूरत महसूस की गई।

नियमित बेंचों की संख्या भी बढ़ाई गई

हाईकोर्ट में याचिकाओं का दबाव लगातार बढ़ने के कारण 17 सितंबर से एक अतिरिक्त रेगुलर बेंच भी जोड़ी गई। पहले 3 बेंचें जमानत याचिकाओं की सुनवाई करती थीं, जिसे बढ़ाकर 4 कर दिया गया। इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने निर्णय लिया कि विशेष अवसर पर प्रत्येक जज के समक्ष 100 केस सुनवाई के लिए रखे जाएंगे, ताकि लंबित मामलों की संख्या कम की जा सके।

छुट्टियों के बीच तेजी से निपटाए जाएंगे मामले

बार एसोसिएशन ने बताया कि इस साल 31 दिसंबर तक कोर्ट में लगभग 50 अवकाश निर्धारित हैं। दशहरा और दीपावली पर एक-एक सप्ताह की छुट्टी होगी। ऐसे में अगर लंबित जमानत मामलों को समय रहते निपटाया नहीं गया तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। इसीलिए विशेष बेंचों का गठन समय की जरूरत बन गया है।

लोक अदालत और मीडिएशन की सीमाएँ

पिछले कुछ वर्षों में लोक अदालत और मीडिएशन सेंटर के माध्यम से भी विवादों के समाधान की गति बढ़ाने की कोशिश हुई है। हालांकि, लंबित मामलों की बड़ी संख्या के सामने ये प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। विशेषज्ञों और अधिवक्ता संघ की मांग है कि हाईकोर्ट में स्वीकृत 12 न्यायाधीश पदों पर जल्द नियुक्तियां की जाएं, ताकि न्यायिक दबाव कम हो और लोगों को समय पर न्याय मिल सके।