विश्व की सबसे ऊँची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा होगी इंदौर में स्थापित ! सीएम मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

इंदौर के सिरपुर स्थित देवी अहिल्या सरोवर उद्यान में एक ऐतिहासिक पहल की गई। यहां पर स्वामी विवेकानंद जी की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा निर्माण हेतु मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधिवत भूमिपूजन किया। यह न केवल एक मूर्ति है, बल्कि विचारों का एक जीवंत स्तंभ है।  जो आने वाली पीढ़ियों को स्वामी विवेकानंद के तेजस्वी दर्शन से सशक्त बनाएंगी । भूमिपूजन के इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “स्वामी विवेकानंद जी भारतीय संत परंपरा के एक अनमोल रत्न थे। उनका जीवन केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में बोला करता था। उन्होंने जीवन को ‘सेवा’ और ‘आत्मबोध’ के सूत्रों से बाँधा और युवाओं को बताया कि आत्मबल ही सच्चा बल है।

कमज़ोरी को त्यागो, आत्मबल को अपनाओ
उन्होंने आगे कहा कि विवेकानंद जी का जीवन संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सौ साल पहले था। उनका मंत्र था  कि “कमज़ोरी को त्यागो, आत्मबल को अपनाओ, और कर्म को ही पूजा बनाओ।” इंदौर में स्थापित होने वाली यह भव्य प्रतिमा स्वामी जी के इसी संदेश को मूर्त रूप देगी।

विश्व में होगी सबसे अलग

यह मुर्ती जिसकी कुल ऊँचाई 52 फीट (प्रतिमा: 39.6 फीट + आधार) की होगी। यहीं लगभग 14 टन वजनी होगी। इसका निर्माण जलवायु-प्रतिरोधी मिश्रित धातुओं से किया जाएंगा। यह प्रतिमा कर्नाटक (उडुपी) की वर्तमान 35 फीट की मूर्ति से भी ऊँची होगी

दर्शन, शोध और प्रेरणा का होगा संगम
इस स्थल को केवल एक प्रतिमा तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा। यहाँ पर एक विशेष गैलरी भी विकसित की जाएगी, जिसमें स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को चित्रों, लेखों और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए दर्शाया जाएगा। साथ ही, एक लाइब्रेरी की स्थापना का प्रस्ताव है, जहाँ विवेकानंद साहित्य सुलभ रहेगा

प्रेरणादायी होगा स्थल
यहां कैलाश विजयवर्गीय (नगरीय प्रशासन मंत्री) ने कहा कि “यह स्थान युवाओं के लिए एक प्रेरणा-स्थल बनेगा, जहाँ वे स्वामी जी के विचारों से मार्गदर्शन पा सकेंगे। यहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि “यह स्मारक न केवल श्रद्धा का प्रतीक बनेगा, बल्कि विवेकानंद जी के विचारों को स्थायित्व भी देगा।”

देश का गौरव बढ़ाएँगे मुर्तिकार
देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार नरेश कुमावत इस भव्य प्रतिमा को आकार देंगे, जिन्होंने पहले भी कई ऐतिहासिक प्रतिमाएँ बनाकर देश का गौरव बढ़ाया है। यह केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि भारत के आत्मबोध, साहस और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बनेगी। इंदौर को मिलेगा एक नया सांस्कृतिक लैंडमार्क और देश के युवाओं को एक ऐसा स्थल, जो आत्मविश्वास, सेवा और साहस की प्रेरणा देगा।