स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश कांग्रेस ( Congress ) मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग कर बताया कि भोपाल में 8 वर्षी बच्ची के साथ जिस तरह का अमानवीय कृत्य हुआ है, जिसकी सभी अखबारों में वह घटना मुख्य पृष्ठ पर छपी होकर सुर्खियों में है। नेशनल क्राइम ब्यूरों की रिपोर्ट के मुताबिक छेड़छाड़, बलात्कार, बच्चियों के साथ दुष्कर्म और महिलाओं के साथ निरंतर हो रही जघन्य घटनाओं में मध्य प्रदेश, देश में नंबर एक पर है।
Congress ने कहा मध्य प्रदेश में महिलाएं, बच्चियां असुरक्षित हैं
कांग्रेस ( Congress ) के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता की बात है कि इस सरकार के रहते मध्य प्रदेश में महिलाएं, बच्चियां असुरक्षित हैं। बच्चियों और महिलाओं को अकेले घर से निकलना दूभर है। अभी पिछले दिनों अलीराजपुर के जोबट में एक 12 साल की बच्ची के साथ हुई घटना प्रदेश और देश की जनता के सामने आई थी, लेकिन उसमें पुलिस प्रशासन मौन है। श्री नायक ने कहा कि जब महिलाओं, बच्चियों के साथ ऐसी दरिंदगीपूर्ण अमानवीय घटनाएं होती है तो देखने में आता है कि अनेक जिलों में दोषियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाते हैं, उन्हें प्रताडि़त किया जाता है और एक्स्ट्रा एफर्ट दिये जाते हैं, ताकि लोगों में संदेश जाये कि ऐसी घटना कोई दोबारा ना करें। चूंकि अलीराजपुर जिले में बच्ची के साथ जो घटना हुई उसके तार भारतीय जनता पार्टी के रिश्तेदारों से जुड़े हुए हैं।
अपराधियों में कानून का जरा भी खौफ नहीं
नायक ने कहा कि भोपाल के मिसरौंद क्षेत्र के शिक्षा के मंदिर (स्कूल) में हुई यह घटना मुख्यमंत्री, शासन प्रशासन के नाक के नीचे हुई है। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों में कानून का जरा भी खौंप नहीं हैं, क्योंकि उन्हें सत्ता और सत्ताधारियों का संरक्षण प्राप्त होता है। श्री नायक ने कहा कि मैं मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से मांग करता हूं कि जो भी इस अमानवीय घटना में दोषी पाया जाता है, किसी व्यक्ति का नाम नहीं लूंगा कि भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री के साथ इस घटना में शामिल व्यक्ति के व्यापारिक संबंध है और ऐसी भी चर्चा है कि वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। इस घटना की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच हो जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। घटना में जो दोषी पाया जाता है, उसकी कठोर दंड दिया जाए, किसी निर्दोष व्यक्ति को इसमें परेशान ना होना पड़े।