गांवों की अर्थव्यवस्था में दिखा तेज उछाल, NABARD रिपोर्ट ने पेश की ग्रोथ की तस्वीर

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा जुलाई 2025 में प्रकाशित ग्रामीण आर्थिक स्थिति और भावना सर्वेक्षण (RECSS) की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के गांवों की आर्थिक सेहत अब सुधार की दिशा में अग्रसर है।

इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, गांवों में रहने वाले लोगों की खपत यानी खर्च में उल्लेखनीय इज़ाफा देखने को मिला है। यह संकेत देता है कि उपभोग आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था अब एक मजबूत और स्थायी मार्ग पर चल पड़ी है।

खर्च में बढ़ोतरी से पता चला उपभोग का रुझान

रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 76.6% ग्रामीण परिवारों ने अपने खर्च में इजाफा होने की पुष्टि की है। यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण परिवार अब ज्यादा उपभोग कर रहे हैं, जिसका सीधा संबंध उनकी बढ़ती क्रयशक्ति और आर्थिक आत्मविश्वास से है। इसी के साथ, 39.6% परिवारों ने बताया कि उनकी आय में भी पिछले एक वर्ष में बढ़ोतरी हुई है – जो इस सर्वेक्षण के इतिहास में सबसे अधिक दर्ज की गई संख्या है।

बचत और कर्ज, दोनों में बढ़ी जागरूकता

आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक और सकारात्मक संकेत यह है कि अब गांवों के लोग बचत के प्रति अधिक सतर्क हो रहे हैं। करीब 20.6% ग्रामीण परिवार अब नियमित रूप से बचत पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि 52.6% परिवार जरूरत पड़ने पर कर्ज का सहारा ले रहे हैं। यह दिखाता है कि ग्रामीण समुदाय अब वित्तीय प्रबंधन को लेकर पहले से ज्यादा सजग हो गया है और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके अपना रहा है।

भविष्य के प्रति सकारात्मक उम्मीदें

NABARD की इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ग्रामीण भारत भविष्य को लेकर पहले से ज्यादा आशावादी हो गया है। लगभग 74.7% परिवारों को विश्वास है कि आने वाले वर्ष में उनकी आय में वृद्धि होगी, वहीं 56.2% लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलने की उम्मीद है। इससे जाहिर होता है कि ग्रामीण आबादी अब आर्थिक सुधार और रोजगार के प्रति जागरूक और प्रेरित है।

महंगाई नहीं रही चिंता का विषय

जहां शहरी क्षेत्रों में महंगाई चिंता का विषय बनी रहती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति कुछ हद तक बेहतर है। रिपोर्ट के अनुसार, 78.4% से अधिक ग्रामीण परिवारों का मानना है कि मौजूदा महंगाई दर 5% या उससे कम है। यह एक स्थिर अर्थव्यवस्था का संकेत है, जहां आवश्यक वस्तुओं की कीमतें काबू में हैं और ग्रामीण जनता संतुष्ट है।

सरकारी योजनाओं की भूमिका बनी अहम आधार

ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सुधार में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा योगदान है। नकद सहायता के अलावा, ग्रामीण परिवारों को वस्तुओं पर सब्सिडी दी जा रही है – जिसमें खाद्यान्न, बिजली, गैस, उर्वरक, पेंशन, स्कूल सामग्री, परिवहन और ब्याज सहायता शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह सहायता एक औसत ग्रामीण परिवार की मासिक आय का करीब 10% हिस्सा बनती है, जो कमजोर तबके के लोगों के लिए आर्थिक रूप से राहत पहुंचाने वाला है।