प्रदेश सरकार अब अवैध कॉलोनियों को वैध करने के प्रयास कर रही है। इसी क्रम में इंदौर नगर निगम कई अवैध कॉलोनियों को नियमित कर चुकी है। लेकिन नगर निगम ने विकास शुल्क वसूलने का कोई सिस्टम नहीं बनाया है। अधिकांश कॉलोनियों में पहले से ही सुविधाएं उपलब्ध हैं और निर्माण हो चुका है, जिससे रहवासी विकास शुल्क जमा करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
150 कॉलोनियां हो चुकी है नियमित
इंदौर नगर निगम शहर की अवैध कॉलोनियों को नियमित तो कर रहा है, लेकिन इन कॉलोनियों के रहवासियों से विकास शुल्क वसूलने का उसके पास कोई सिस्टम ही नहीं है। हालत यह है कि निगम अब तक 150 से ज्यादा कॉलोनियों को नियमित कर चुका है, लेकिन विकास शुल्क किसी भी कॉलोनी का जमा नहीं हुआ। दरअसल जिन कॉलोनियों को नियमित किया गया है, उनमें से ज्यादातर पहले से विकसित हैं। उनमें बिजली, पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध है। निगम अब रहवासियों को समझाने और विकास शुल्क जमा कराने के लिए सिस्टम बनाने की योजना बना रहा है।
विकास शुल्क लागू करना पड़ सकता है भारी
शहर की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की मुहिम करीब ढाई वर्ष पहले शुरू हुई थी। नगर निगम अब तक तीन चरणों में 150 से अधिक कॉलोनियों को नियमित कर चुका है। कॉलोनियों को नियमित करने के एवज में रहवासियों को एक निश्चित विकास शुल्क नगर निगम में जमा कराना था। यह राशि पांच रुपये वर्गफीट से लेकर 150 रुपये वर्गफीट तक है। इस राशि को जमा कराने के लिए कोई सिस्टम ही नगर निगम ने नहीं बनाया। कॉलोनी नियमित करते हुए बताया गया था कि इसके बाद नक्शे पास हो सकेंगे, निर्माण के लिए बैंकों से ऋण मिल सकेगा, लेकिन समस्या यह है कि नियमित हुई ज्यादातर कॉलोनियों में पहले ही से मकान बने हुए हैं। इतना ही नहीं, इन कॉलोनियों में सड़क, पानी और बिजली की सुविधा भी पहले से उपलब्ध है।
विकसित कॉलोनी में वसूलेंगे विकास शुल्क?
कुल मिलाकर देखें तो ये कालोनियां पहले से विकसित हैं। इन्हें अतिरिक्त विकास की कोई आवश्यकता ही नहीं है। ऐसे में इन कॉलोनियों के रहवासी निगम में विकास शुल्क क्यों जमा कराएंगे, इसका कोई जवाब निगम के पास नहीं है। अवैध से नियमित की गई किसी भी कॉलोनी के शत-प्रतिशत रहवासियों ने अब तक निगम में विकास शुल्क जमा नहीं कराया है। तो अब निगम विकसित कॉलोनी में विकास शुल्क कॉलोनियों से विकास शुल्क जमा हो जाए, इसके लिए सिस्टम बनाएंगे। एक तय समय सीमा में विकास शुल्क जमा नहीं होने की स्थिति में कॉलोनी को नियमित करने के निर्णय पर पुनर्विचार का प्रस्ताव भी करेंगे। ऐसा निगम के अधिकारी प्रयास कर सकते है लेकिन इससे नगर निगम को दूगना नुकसान ही होगा।