भारत में चमत्कारों की कमी नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित एक मंदिर में घटने वाली घटना आज भी विज्ञान के लिए रहस्य बनी हुई है। यहां स्थित गड़ियाघाट माताजी मंदिर में हर शाम दीये जलाए जाते हैं, पर न तो इनमें घी होता है, न तेल, बल्कि जलाने के लिए प्रयोग किया जाता है साधारण पानी। यह सुनने में भले ही किसी कहानी जैसा लगे, लेकिन यहां यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और सैकड़ों श्रद्धालु इसे रोजाना अपनी आंखों से देख भी रहे हैं।
कहां स्थित है यह अद्भुत मंदिर?
गड़ियाघाट माताजी मंदिर, शाजापुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर, नलखेड़ा के निकट स्थित है। यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे बसा हुआ है। हर दिन की शाम यहां भक्त दीयों में पानी डालकर उन्हें जलाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि रातभर ये दीये जलते हैं और सुबह होते ही अपने आप बुझ जाते हैं। अगली शाम फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाती है।
पानी से दीये कैसे जलते हैं?
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यह कोई विज्ञान या रासायनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि माताजी की कृपा है। वे बताते हैं कि यह पानी किसी आम स्रोत से नहीं, बल्कि कालीसिंध नदी से ही आता है। इस पानी को दीयों में डालने पर कुछ ही समय में यह किसी चिपचिपे और जलने योग्य पदार्थ में बदल जाता है, और फिर उसमें दीया जल उठता है। मंदिर के अनुसार, यही चमत्कार अन्य स्थानों पर नहीं होता। यही पानी कहीं और ले जाकर दीया जलाने की कोशिश करें तो कुछ नहीं होता।
वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
इस अद्भुत घटना को देखने के लिए कई बार वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता मंदिर का दौरा कर चुके हैं। पानी की रासायनिक जांच भी की गई, लेकिन उसमें कोई ऐसा तत्व नहीं मिला जो अग्नि उत्पन्न करने में सक्षम हो। नतीजतन, यह चमत्कार विज्ञान के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है। हर बार शोध के बाद वैज्ञानिक खाली हाथ लौटे हैं और आस्था एक बार फिर विजयी रही है।
सदियों पुरानी परंपरा
पुजारियों के अनुसार, यह चमत्कार सदियों से निरंतर हो रहा है। उनका मानना है कि जब तक कालीसिंध नदी में पानी रहेगा, तब तक यह चमत्कार भी होता रहेगा। गर्मियों में जब नदी का जलस्तर बहुत कम हो जाता है, तब कभी-कभार यह प्रक्रिया रुक जाती है। लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है, क्योंकि कालीसिंध एक बारहमासी नदी है।