राजधानी में अब स्पेस, डिफेंस और मेडिकल से जुड़े कई ऐसे पार्ट्स तैयार होंगे, जिनके लिए अब तक अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों पर निर्भर रहते थे। अब विभिन्न पेचीदा मशीनों से जुड़े कंपोनेंट भोपाल के सीएसआईआर-एडवांस मटेरियल्स एंड प्रोसेसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट में तैयार होंगे।
इसके लिए यहां स्वीडन से मंगवाई गई लेजर बेस्ड मेटल एडेटिव मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्राॅन बीम मेटल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग मशीन लगाई जा चुकी है। एम्प्री को स्पेस और डिफेंस से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न संस्थान अपनी डिमांड बताएंगे कि उन्हें किस तरह के कंपोनेंट या पार्ट्स चाहिए, उसे यहीं डिजाइन और डेवलप करेंगे। देश में पहली बार इस तरह का काम एम्प्री में होगा।
मुख्य बात यह है कि इंडियन नेवी, डीआरडीओ, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे संस्थानों के लिए यहां विभिन्न मशीनों के पार्ट्स बनेंगे। इसका एक सीधा फायदा यह होगा कि विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, दूसरा कम समय में इसे नए तरीके और डिजाइन से तैयार किया जाएगा। यह देश की तकनीक होगी जिसकी लागत भी करीब 30 फीसदी तक कम होगी।