देश से फरार अपराधियों पर कसेगी नकेल! गैरहाजिर रहने पर भी चलेगा मुकदमा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में फरार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एक बैठक के दौरान, उन्होंने सुझाव दिया कि लंबे समय से देश से भागे हुए भगोड़ों पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह बैठक मध्य प्रदेश द्वारा लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए आयोजित की गई थी।

गरीबों को न्याय दिलाने पर जोर

अमित शाह ने इस बैठक में गरीबों के लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वंचित वर्गों को न्याय दिलाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और इसके लिए उपयुक्त प्रशिक्षण प्रदान करना बेहद जरूरी है। शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि कानूनी प्रतिनिधित्व में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

3 साल में न्याय का लक्ष्य

गृह मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए आपराधिक कानूनों का मुख्य उद्देश्य तीन साल के भीतर न्याय प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों की जगह ली है। ये कानून 1 जुलाई 2024 को लागू हुए थे और अब प्राथमिकी दर्ज होने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक की प्रक्रिया को तेज करने का वादा करते हैं।

मध्य प्रदेश के प्रयासों की सराहना

शाह ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि इन कानूनों का 100% कार्यान्वयन जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने खासतौर पर ‘जीरो एफआईआर’ की प्रक्रिया पर निगरानी और इसे नियमित एफआईआर में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया।

अपराध नियंत्रण के लिए तकनीकी कदम

गृह मंत्री ने अपराध और अपराधियों पर नज़र रखने के लिए एक सुदृढ़ तकनीकी ढांचे की जरूरत बताई। उन्होंने सुझाव दिया कि अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के जरिए राज्यों के बीच प्राथमिकियों का हस्तांतरण किया जाए। साथ ही, आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे मामलों में धाराएं लागू करने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उनकी गहन समीक्षा की आवश्यकता पर भी बल दिया।

नए कानूनों के दुरुपयोग को रोकने की अपील

शाह ने चेतावनी दी कि नए आपराधिक कानूनों का कोई भी दुरुपयोग इनकी शुचिता को कमजोर कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन प्रावधानों का सही और ईमानदारी से इस्तेमाल होना चाहिए, ताकि देश के न्याय प्रणाली में भरोसा कायम रहे।