गर्मी में पानी की कमी और जंगलों में बढ़ते तनाव के कारण मध्य प्रदेश के बाघों के बीच वर्चस्व की जंग और भी भयानक हो सकती है। गर्मी का मौसम आते ही बाघों के इलाके में खलबली मच जाती है, और इस बार इसे रोकने के लिए वन प्रबंधन ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
इसकों लेकर समर अलर्ट जारी कर दिया गया है और जंगलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मौसम के बदलाव के साथ जंगलों का स्वरूप बदलने लगता है, और यही बदलाव वन्य प्राणियों की गतिविधियों पर असर डालता है। इस दौरान उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना और भी जरूरी हो जाता है।
पानी का संकट बनता है लड़ाई की वजह
बाघों के लिए पानी का संकट इस सीजन में सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। हालांकि, प्रदेश के छह प्रमुख टाइगर रिजर्व में सोलर पावर पंपों के जरिए वाटर होल भरने की व्यवस्था की गई है, फिर भी गर्मी में पानी की कमी के कारण बाघों को अपने इलाके छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। बड़ी उम्र के बाघ, पानी की तलाश में दूसरे बाघों के क्षेत्र में घुसने लगते हैं, और यहां से शुरू होती है वर्चस्व की जंग।
जंगल की आग से होता है टाइगरों का पलायन
महुआ के सीजन में, जब गांवों के पास आग लगाई जाती है, तो बफर जोन में रहने वाले बूढ़े और कमजोर बाघों को अपना क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। घने जंगलों में घुसते ही इनका सामना नए, ताकतवर बाघों से होता है, और फिर शुरू हो जाती है जबरदस्त लड़ाई।
बांधवगढ़ का वनराज बन रहा है डी-वन
बांधवगढ़ के खितौली रेंज में एक नया शेर, डी-वन, अपनी ताकत के जोर पर इलाके पर कब्जा करने में जुटा है। डी-वन ने अपने इलाके में घुसने की कोशिश करने वाले बाघों को खदेड़ दिया है। हाल ही में उसने बाघिन तारा के दो शावकों को भी मार डाला। अब उसका क्षेत्र पूरी तरह से कब्जे में है। इसके अलावा, पुजारी नामक बाघ भी उम्रदराज हो चुका है, और आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में वर्चस्व की जंग और भी तेज हो सकती है।
रक्षा के इंतजाम में जुटा वन विभाग
वन प्रबंधन ने सुरक्षा के सभी इंतजामों को मजबूत किया है। गश्त बढ़ा दी गई है और सुरक्षा कर्मियों की संख्या में इजाफा किया गया है। पानी की कमी न हो, इसके लिए नियमित निगरानी रखी जा रही है। जीरो फायर मिशन के तहत आग से बचाव के लिए आसपास के गांवों में जागरूकता फैलायी जा रही है। जहां बाघों के बीच दूरी कम है, वहां हाथी दल के जरिए निगरानी रखी जा रही है।
अब समय है जब वन्य प्राणियों की सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी जा सकती। गर्मी और जंगलों के बदलते हालात के बीच, बाघों के बीच वर्चस्व की जंग अब और भी तेज हो सकती है।