भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस बार के मानसून को लेकर बड़ी घोषणा की है। विभाग के अनुसार, साल 2025 में देश में औसत से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है। अनुमान है कि इस साल जून में ही दीर्घकालिक औसत का 108% तक वर्षा हो सकती है, जो मानसून की एक ऐतिहासिक शुरुआत को दर्शाता है। यह मानसून बीते 16 वर्षों में सबसे पहले भारत की मुख्यभूमि पर पहुंचा है।
1950 के बाद सबसे जल्दी पहुंचा मानसून
आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है, लेकिन इस बार इसने 25 मई को ही केरल में दस्तक दे दी। इसके बाद महज दो दिन में यह मुंबई तक भी पहुंच गया, जो सामान्यतः 11 जून तक होता है। 1950 के बाद यह पहली बार है जब मानसून इतनी जल्दी मुंबई पहुंचा है। इससे पहले 2009 में भी मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था। इस बार का समय से पहले आया मानसून पूरे देश में असामान्य वर्षा का संकेत दे रहा है।
पूरे देश में होगी औसत से अधिक बारिश
IMD के अनुमान के अनुसार, पूरे मानसून सीजन में भारत को औसतन 87 सेमी बारिश मिलती है। लेकिन इस बार यह आंकड़ा 106% तक पहुंच सकता है। खासकर मानसून कोर जोन जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और उनके आसपास के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है। ये इलाके कृषि पर अत्यधिक निर्भर होते हैं और वहां की खेती मानसून वर्षा पर टिकी होती है।
किसानों के लिए खुशखबरी
भारत में खरीफ की फसलें जैसे धान, मक्का, रागी और अरहर सीधे तौर पर मानसून पर निर्भर करती हैं। देश की लगभग 60% कृषि भूमि सिंचाई के लिए मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है, और साल भर की कुल वर्षा का लगभग 70% हिस्सा इसी सीजन में होता है। ऐसे में मानसून का समय से पहले आना और अधिक वर्षा का पूर्वानुमान किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है। हालांकि पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश की चेतावनी है, जो वहां की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
दक्षिण और पश्चिम भारत में भारी बारिश का अलर्ट
IMD ने अगले कुछ दिनों में केरल, कर्नाटक, गोवा और तटीय महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है। मुंबई, कोंकण, मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों और कर्नाटक के तटीय इलाके में अत्यधिक वर्षा हो सकती है। इसकी शुरुआत हो भी चुकी है, मुंबई में भारी बारिश के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।