कैसा कैसा हो गया है अवैध स्तर का कारोबार…बत्ती देने में लोग होते जा रहे हैं होशियार…गायब कर देते हैं किराए पर लेकर लक्जरी कार…पता चलने के बाद भी रोक नहीं पाती ये अपराध सरकार…ये गौरखधंधा शहरों में वर्षों से पनप रहा और फलीभूत है…शिकायतों के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं , लगता पुलिस अपराधियों से अभिभूत है…नकली अनुबंध करके एक साथ तीन – तीन सौ कार किराए पर लेने का किस्सा पहले भी घटित हो चुका है…
कार लेकर बेचने , गिरवी रखने और काटने वाला कारनामा कालरा सहित नहीं रुका है…अपने ढंग का ये नायाब तरीका और अजीब किस्सा है…लगता इसकी परवरिश हो रही और बंट रहा चहुओर हिस्सा है…शातिर और धोखेबाज किस्म के कुख्यात तत्व इस काम में तल्लीन है…उनके हावभाव और अंदाज देखकर लगता ये बड़े कुलीन है…कमबख्त हर बार बचकर निकल जाते हैं…
नटवरलाल की तरह ये कभी सलाखों की गिरफ्त में नहीं आते हैं…या यूं कहें कि पकड़े जाने पर तो वाहवाही लूट ली जाती है…कालांतर में समूचे प्रकरण की पोल खुल जाती है…पूर्व में भी प्रशासन की लापरवाही से डकैत मूंह चिढ़ाकर जमानत ले गए…उनको पकड़कर खूब प्रसिद्धि पाने वाले उनकी मुक्ति हुई तो हाथ पर हाथ धरे रह गए…वो भी चोर थे ये भी चोर हैं…कल थम जाएगा जिनका आज शोर है…हमारे यहां घटना के तुरंत बाद जो तत्परता पुलिस दिखाती है वो थोड़े समय बाद फुस्स हो जाती है…विवेचना के मुहाने तक आते आते बड़ी – बड़ी घटना ठूस हो जाती है..
विगत 5 – 7 वर्षों से कार किराए पर लेकर गायब करने वाले मामलों की तादात भरपूर है…अपराधी को पकड़ तो लेते हैं मगर अपराध सिद्ध न कर पाना एक दस्तूर है…चाहे नकली दुल्हन वाले मामले हो या किराए पर कार…न जाने किसकी शह पर किया जाता है उपकार…पूरी की पूरी गैंग का पर्दाफाश हो जाता है फिर भी नया अपराधी पनप जाता है…लगता है इस तरह के चोट्टों को पुलिस का कोई ख़ौफ़ कभी नहीं सताता है…अब तो मजिस्ट्रेट पावर वाली पुलिस व्यवस्था है…
पहले से ज्यादा त्वरित न्याय की अवस्था है…कुछ मामलों में तो लगता नहीं की गुंडों – चोरों को खाकी का ख़ौफ़ विचलित करता है…डंडों का दंड हो या सलाखों का भय हर जगह दुष्टों को ये वक्त मुखरित करता है…अब तो कोई ठोस तरकीब निकालो जनाब…इस तरह के नए अपराध पर से हटाओ नकाब…केवल इनका पर्दाफाश करना ही नई कमिश्नर प्रणाली वाली पुलिस का काम नहीं है…अपराधियों को तत्काल कठोर सजा मिले ताकि पुलिस हो बदनाम नहीं है…
सजा भी ऐसी हो कि फिर भविष्य में कोई सिर उठाकर नहीं ऐसा कारनामा कर पाए…जेल के अलावा मूल्य से कई गुना वो खामियाजा भर पाए…अभी तो एक करोड़ नब्बे लाख की चोरी पकड़ी है…अभी भी इस तरह के कई गुनाहगारों ने कारें जकड़ी है…ऐसी सजा दो की मजा जीवन भर आये…आइंदा कोई कार किराए पर लेकर उसको बेच नहीं पाए…फिर इस तरह का कोई मवाली मुंह नहीं उठा पाए…एक ही बार में उसके दिमाग का षड्यंत्र नेस्तनाबूद हो जाये…हमारे देश में अपराधी एक बार अपराध करके समझ जाते हैं कि होना जाना कुछ नहीं है…
किसी आका को पकड़ लेते हैं वैसे जैसे बंदर की पूछ रही है…फिर वो जेल की हवा खाकर और मदमस्त हो जाते हैं…बाहर आते हैं तो शरीफों को मुंह चिढ़ाते हैं…क्या बिगाड़ लिया किसी ने मेरा…जीवन बरबाद कर दूंगा मैं तेरा…ये धमकियां आम बात हो जाती है…बस यही तो कानून की पीठ पर लात हो जाती है…जनता चाहती है कि अपराध की किस्म व स्तर के आधार पर सबक सिखाया जाए…इस कदर लूटने वाले चोरों नहीं डकैतों को तिहाड़ का रास्ता दिखाया जाए ।