अमेरिकी कोर्ट के इस फैसले से सोने के दाम बढ़े, निवेशकों में मची खलबली

America: अमेरिका की एक संघीय अदालत के हालिया फैसले ने वैश्विक आर्थिक बाजारों में हलचल पैदा कर दी है. इस फैसले का सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को सतर्क कर दिया है. अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आयात शुल्क (टैरिफ) जारी रखने की अनुमति दी है, जिससे वैश्विक व्यापार माहौल पर नकारात्मक असर पड़ा है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत के इस फैसले से दुनिया भर के निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बन गया है. जोखिम से बचने के लिए निवेशकों ने एक बार फिर सुरक्षित विकल्प, जैसे कि सोना  की ओर रुख किया है. इस वजह से सोने की मांग में तेज़ी आई और इसके दाम तेजी से ऊपर चढ़े हैं.

दिल्ली सर्राफा बाजार में बड़ा उछाल

  • अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, दिल्ली के सर्राफा (America) बाजार में बुधवार को सोने की कीमतों में तेज़ उछाल देखा गया.
  • 24 कैरेट सोना 820 रुपए बढ़कर 98,490 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.
  • वहीं, 99.5% शुद्धता वाला सोना 750 रुपए की वृद्धि के साथ 98,000 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बिका.
  • हालांकि, चांदी की कीमत में कोई बदलाव नहीं देखा गया और यह 1,07,100 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर स्थिर रही.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उछाल

हाजिर सोने की कीमत 12.09 डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 3,334.69 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई.

इसके विपरीत, हाजिर चांदी की कीमत में 0.5% की गिरावट देखी गई और यह 36.34 डॉलर प्रति औंस रह गई.

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं पर इस फैसले का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया है.

विशेषज्ञों की राय

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी विश्लेषक सौमिल गांधी ने बताया कि अमेरिकी अदालत के फैसले ने बाजार में अस्थिरता को जन्म दिया है. उन्होंने कहा कि ट्रंप को टैरिफ जारी रखने की अनुमति मिलने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर दबाव बढ़ा है. साथ ही, लंदन में हाल ही में हुई अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता से उपजी सकारात्मकता अब मंद पड़ती दिख रही है.(America)

भू-राजनीतिक तनाव

कमोडिटी मार्केट विश्लेषकों का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य-पूर्व में जारी टकराव ने भी सोने की मांग को बढ़ाया है. कोटक सिक्योरिटीज की कमोडिटी रिसर्च प्रमुख कायनात चैनवाला ने कहा कि अब बाजार की निगाहें अमेरिका के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) डेटा पर टिकी हैं, जो अमेरिकी मौद्रिक नीति के भविष्य की दिशा तय कर सकता है.