इंदौर जिला कोर्ट का भूमाफिया की धोखाधड़ी पर यह फैसला बना सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के लिए भी नजीर

स्वतंत्र समय, इंदौर

भूमाफिया की जमीन की धोखाधड़ी के मामले में इंदौर जिला कोर्ट का एक फैसला सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के सामने भी नजीर बन गया है। जिला कोर्ट ने आवेदकों से जमीन के नाम पर ली गई राशि का 50 फीसदी लौटाने के बाद भी आरोपी को जेल से जमानत दी गई। साथ ही शर्त भी लगाई की शेष 50 फीसदी राशि एक महीने के अंदर देना होगी नहीं तो जमानत रद्द हो जाएगी।

यह है पूरा मामला

2012 में आरोपी किशोर यादव पिता सुंदर लाल यादव निवासी 63, तिलकपथ इंदौर ने स्वयं को रामेश्वर गृह निर्माण संस्था मर्यादित इंदौर का अध्यक्ष बताया, जबकि इस नाम की कोई संस्था ही नहीं थी। यादव ने टिगरिया बादशाह मेनरोड स्थित भूमि पर राधाकृष्ण विहार नाम से कालोनी में प्लाट देने के नाम पर बयाना राशि प्राप्त कर 2018 तक किश्तों में फरियादीगण से लाखों रुपए प्राप्त कर लिए। जब जमाकर्ताओं ने प्लाट का कब्जा और रजिस्ट्री के लिए कहा तो पहले तो तैयार हो गया लेकिन बाद में मुकर गया। सदर बाजार थाने में पीडि़तों ने शिकायत की लेकिन पुलस भी 11 माह टालमटोली करती रही, आखिर में आरोपी पर 420, 409 में केस हुआ और गिरफ्तारी हुई।

भूमाफिया चंपू, नीलेश अजमेरा जैसे मामले में इसलिए है यह नजीर

भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन जैसे भूमाफियाओं के चंगुल में सैकड़ों भूस्वामी उलझे हैं। नवंबर 2021 में इन्हें सुप्रीम कोर्ट से इस शर्त पर जमानत दी गई कि यह पीडि़तों का निराकरण करेंगे, लेकिन भूमाफियाओं ने जिला प्रशासन की कमेटी में भी झूठे वादे ही किए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में केस हाईकोर्ट इंदौर में यह कहते हुए भेजा कि वह मामले की तेज सुनवाई करेंगे, हर पक्षकार को सुनेंगे, जरूरत हुई तो रिटायर हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाएंगे और यदि आरोपी निराकरण नहीं करें तो जमानत निरस्त करेंगे। फरवरी 2023 से इस मामले की सुनवाई चल रही है। रिटायर हाईकोर्ट की कमेटी भी बनी लेकिन अभी भी 50 फीसदी पीडि़तों को हल नहीं मिला है। वहीं सभी भूमाफिया नवंबर 2021 से जमानत के मजे पर हैं।
हालांकि फरवरी 2023 में ही शासन ने भूमाफियाओं द्वारा सहयोग नहीं करने की बात कहते हुए जमानत रद्द करने का आवेदन लगा दिया है लेकिन यह भी हाईकोर्ट के सामने लंबित है।

जिला कोर्ट जैसी शर्त होती तो अभी तक हल निकल चुका होता

चंपू, नीलेश जैसे भूमाफियाओं के पीडि़तों का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट जिला कोर्ट जैसी शतै हमारे मामले में रख देता तो 50 फीसदी राहत तो हमें तत्काल मिल जाती। दो साल तो हो गए हैं हमें भटकते हुए और भूमाफियाओं को जमानत के मजे लेते हुए। हम पहले सुप्रीम कोर्ट गए, फिर प्रशासन की कमेटी के पास गए, फिर हाईकोर्ट गए, फिर हाईकोर्ट की बनी कमेटी के सामने बाद रखी और फिर अब हाईकोर्ट लौट आए। कब तक सुनवाई चलेगी पता नहीं। वहीं हमने तो प्लाट 2008-०९ से लिए हुए हैं। परेशान होते हुए 15 साल हो चुके हैं।

5 मार्च को होना है सुनवाई

उल्लेखनीय है कि सेटेलाइट हिल्स, कालिंदी गोल्ड और फिनिक्स टाउनशिप के सैकड़ों पीडि़तों के मामले में सुनवाई अब कॉलोनी के हिसाब से शुरु होना थी, इसके लिए 31 जनवरी को आपत्तियां भी लग चुकी थी और सुनवाई होना थी लेकिन मूल केस इस दिन लिस्टेड नहीं होने के चलते हाईकोर्ट इंदौर ने मामले में पांच मार्च की की तारीख लगा दी। अभी तो पहली कॉलोनी की सुनवाई होगी और फिर एक-एक कर दोनों दूसरी कॉलोनी की।

कोर्ट में यह हुआ

कोर्ट में केस सुनवाई पर आने पर फरियादी की ओर से एडवोकेट विजय जोशी ने बहस करते हुए न्यायालय को यह बताया कि आरोपी आदतन अपराधी है जिसने संस्था का स्वयंभू अध्यक्ष बनकर निवेशकों को झूठे सपने दिखाकर राशि प्राप्त की, प्लाट भी नहीं दिए और राशि लौटाने के नाम पर वाउचर हस्ताक्षर करवा कर राशि भी नहीं लौटा कर बड़ी धोखाधड़ी की है। निवेशकों को ब्याज सहित राशि वापस लौटाई जाना चाहिए। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश जयदीप सिंह ने फरियादियों के द्वारा निवेशित राशि पर पांच प्रतिशत के हिसाब से ब्याज रुपए 11.62 लाख जोडक़र कुल 36.89 लाख वापस लौटाने की शर्त पर आरोपी को जमानत दी। इसमें 50 फीसदी राशि 18.44 लाख रुपए तत्काल जमा कराई गई। इसके बाद ही आरोपी जेल से रिहा हुआ। एक माह में किश्त की शेष राशि 18.44 लाख नहीं लौटाने पर जमानत स्वमेव निरस्त हो जावेगी। अन्य फरियादियों की ओर से अभिभाषक देवेंद्र नागर, रोहित जाट, रोहित शुक्ला, अर्पित सिंह परिहार, सुरभि चौधरी और शालिनी जोशी ने पक्ष रखा था।