भोपाल से यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा गुरुवार सुबह 4:15 बजे धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में पहुंचा। यह कचरा 12 कंटेनरों में लाया गया और सेक्टर-2 में स्थित रि-सस्टेनेब्लिटी कंपनी (जिसे पहले रामकी कंपनी के नाम से जाना जाता था) के परिसर में रखा गया है। यह कचरा भोपाल गैस त्रासदी के बाद से लंबे समय से एक बड़ी पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चिंता का कारण बना हुआ था। इसे पीथमपुर में विशेष प्रबंधन के लिए लाया गया है, जहां इसे वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इस कदम का उद्देश्य कचरे के सुरक्षित और प्रभावी निपटान के साथ पर्यावरण और लोगों पर इसके संभावित दुष्प्रभावों को कम करना है। पीथमपुर स्थित रि-सस्टेनेब्लिटी कंपनी (पूर्व में रामकी कंपनी) में लाए गए यूनियन कार्बाइड के कचरे को अब कंटेनरों से निकालकर कंपनी परिसर में बने विशेष शेड में सुरक्षित रखा जाएगा। इस प्रक्रिया में लगभग तीन से चार दिन लगेंगे।
इसके बाद की प्रक्रिया
1. ट्रायल रन
कचरे को कंपनी के इंसीनरेटर प्लांट में अलग-अलग मात्रा में रखकर ट्रायल रन किया जाएगा। यह ट्रायल लगभग 10 दिन तक चलेगा।
2. रिपोर्ट तैयार की जाएगी
ट्रायल रन के दौरान वेस्ट के निपटान की प्रक्रिया और इसके पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाएगा। इसके आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
यह पूरी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि वेस्ट का निपटान पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव डालते हुए सुरक्षित रूप से किया जाए।
यूनियन कार्बाइड (यूका) के कचरे के निपटान की प्रक्रिया
वर्ष 2015 में, जब इसी इंसीनरेटर प्लांट में यूका का कचरा नष्ट किया गया था, तो इसे 90 किलो प्रति घंटे की दर से संयंत्र में डालकर नष्ट किया गया था।
वर्तमान प्रक्रिया
• टीम की निगरानी:
• इस बार भी कंपनी के विशेषज्ञ,
• केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB),
• और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) की टीम की निगरानी में नष्ट किया जाएगा।
• इंसीनरेटर प्लांट:
प्लांट में अलग-अलग मात्रा में कचरा डालकर ट्रायल किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निपटान प्रक्रिया पर्यावरणीय और तकनीकी मानकों का पालन करे।
उद्देश्य
1. कचरे के सुरक्षित और वैज्ञानिक निपटान की प्रक्रिया को स्थापित करना।
2. पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करना।
यह कदम भोपाल गैस त्रासदी के अवशेषों को समाप्त करने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
यूनियन कार्बाइड के कचरे का निपटान
भोपाल से लाए गए 337 टन कचरे को पीथमपुर के इंसीनरेटर प्लांट में नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से की जाएगी।
प्रक्रिया और योजना
1. ट्रायल रन की दरें:
• 135 किलोग्राम प्रति घंटे,
• 180 किलोग्राम प्रति घंटे,
• 270 किलोग्राम प्रति घंटे।
प्रत्येक दर पर तीन-तीन दिन तक परीक्षण किया जाएगा।
2. आंकड़ों का आकलन:
ट्रायल के बाद यह तय किया जाएगा कि किस दर पर कचरा सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीके से नष्ट किया जा सकता है।
3. शासन का बजट:
• यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान के लिए 126 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है।
• यह राशि निपटान प्रक्रिया, निगरानी, और वैज्ञानिक परीक्षणों पर खर्च की जाएगी।
मुख्यमंत्री का बयान
• मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा: “गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके हैं, अब कचरे में कोई हानिकारक तत्व नहीं बचा है।” निपटान प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी। यह कदम पर्यावरण सुरक्षा और पुराने औद्योगिक कचरे के उचित निपटान की दिशा में एक बड़ी पहल है। इससे प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों में भरोसा बढ़ेगा और प्रदूषण कम होगा।
यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान के विरोध में प्रदर्शन
• पीथमपुर स्थानीय लोगों ने महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर रैली निकाली। विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन में भाग लिया। शुक्रवार को पीथमपुर बंद का आह्वान किया गया है।
विरोध के मुख्य कारण
1. सुरक्षा चिंता:
• प्रदर्शनकारियों का दावा है कि कचरे को जलाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरा हो सकता है।
• स्थानीय निवासियों को कचरे में संभावित हानिकारक तत्व को लेकर आशंका है।
2. पारदर्शिता की मांग:
• लोगों ने निपटान प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और वैज्ञानिक रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है।
3. विकल्पों की तलाश:
• स्थानीय संगठनों ने कचरे को जलाने के बजाय वैकल्पिक निपटान प्रक्रियाओं की मांग की है।
आगामी कदम
• शुक्रवार को पीथमपुर बंद के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है।
• प्रदर्शनकारियों ने सरकार से निपटान प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
• प्रशासन ने अब तक वैज्ञानिकों की देखरेख में कचरे के सुरक्षित निपटान का आश्वासन दिया है।
• प्रदर्शन के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा सकते हैं।
• यह मुद्दा स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय सुरक्षा से जुड़ा है।
• प्रशासन को पारदर्शिता बनाए रखते हुए जनता की चिंताओं का समाधान करना होगा।