राजेश राठौर की कलम से
किसी भी प्रदेश के विकास में उद्योग की सबसे बड़ी भूमिका होती है, यदि कहीं भी उद्योग ( Industry ) लगते हैं तो निश्चित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आम आदमी को फायदा होता है। उद्योग के लगने से लेकर चलने तक कई लोग कामकाज करते हैं। सरकारी नौकरियां वाकई सबको नहीं मिल पाती, ऐसे में उद्योग यदि लगते हैं तो नौकरियां भी कुशल और अकुशल लोगों को मिल जाती है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उद्योग लगाने के लिए हर 2 साल में ग्लोबल समिट होती रही, जो इवेंट ज्यादा बनी हालांकि कुछ उद्योग शुरू भी हुए हैं। अब जिस तरह से मोहन यादव सरकार ने रीजनल स्तर पर काम शुरू किया, उसका फायदा ज्यादा मिलने की संभावना है।
Industry में कच्ची सामग्री भी ग्रामीण सप्लाई कर पाएंगे
उज्जैन संभाग को टारगेट करते हुए यादव सरकार ने जितने भी एग्रीमेंट किए हैं, वो धरातल पर उतरने की उम्मीद ज्यादा है। इसका कारण ये है कि छोटे आयोजनों में सरकार ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती है। उद्योगपति भी मुख्यमंत्री और अफसरों से ज्यादा मिल पाते हैं, जिस तरीके से रीजनल स्तर पर इन्वेस्टर समिट शुरू हुई है, उसके कारण गांवों से पलायन रुकेगा। ग्रामीण और शहर के लोगों को अपने इलाके में ही काम मिल सकेगा। निर्माण से लेकर उद्योग ( Industry ) में लगने वाली कच्ची सामग्री भी गांव वाले सप्लाई कर पाएंगे। किसानों का माल हाथों-हाथ लग जाएगा। उद्योग के साथ ही वेयरहाउस बनने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार भी बढ़ेगी।
रीजनल स्तर पर हर संभाग में समिट होगी
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वतंत्र समय से बात करते हुए कहा कि हम मध्यप्रदेश स्तर पर बड़ा इन्वेस्टर समिट तो करेंगे ही, लेकिन साथ में रीजनल स्तर पर हर संभाग में इन्वेस्टर समिट होगी। जिस इलाके में जो अनाज पैदा होता है, उससे संबंधित उद्योग उसी इलाके में लगवाए जाएंगे, जिससे हाथों-हाथ माल की खपत पूरी हो सके। अब बिजनेस मैन के लिए 24 घंटे सरकार के द्वार खुले है, जिसको जहां उद्योग लगाना है, उनको उसी इलाके में सरकार के विभाग से सभी अनुमतियां मिल जाएगी। उज्जैन की तरह सभी संभाग में इन्वेस्टर समिट होती रही तो फिर पूरे प्रदेश में वास्तव में उद्योग का जाल फैल जाएगा। गांव से पलायन रुकेगा, गांव के लोगों का आर्थिक विकास भी होगा। सरकार के इस तरह के प्रयास वाकई काबिले तारीफ है।
-लेखक, राजेश राठौर