मध्यप्रदेश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े श्रमिक परिवारों के लिए आज का दिन राहत और सहारे की बड़ी सौगात लेकर आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के तहत एक क्लिक के माध्यम से 160 करोड़ रुपये की अनुग्रह सहायता राशि सीधे हितग्राहियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करेंगे। यह सहायता कुल 7,227 मामलों में प्रदान की जाएगी, जिससे हजारों परिवारों को आर्थिक संकट के समय मजबूत सहारा मिलेगा। मुख्यमंत्री दोपहर 1 बजे भोपाल स्थित वल्लभ भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
मंत्रालय में सुबह होगी कैबिनेट बैठक, विकास पर होंगे अहम फैसले
इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज सुबह मंत्रालय पहुंचकर 11 बजे होने वाली मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में प्रदेश के विकास, जनकल्याण और प्रशासनिक सुधार से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा होगी। उम्मीद की जा रही है कि इन फैसलों से आम जनता, किसानों, युवाओं और श्रमिक वर्ग को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री संबल योजना के तहत होने वाले सहायता वितरण कार्यक्रम में भाग लेंगे।
संबल योजना: असंगठित श्रमिकों के लिए सुरक्षा कवच
मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की मजबूत ढाल साबित हो रही है। इस योजना के तहत यदि किसी श्रमिक की दुर्घटना में मृत्यु होती है तो उसके परिवार को 4 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है। सामान्य मृत्यु की स्थिति में 2 लाख रुपये, स्थायी दिव्यांगता होने पर 2 लाख रुपये और आंशिक स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद का प्रावधान है।
अंत्येष्टि से लेकर मातृत्व तक मिलता है सहयोग
संबल योजना केवल आपदा के समय ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पड़ावों पर भी सहायता देती है। किसी श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार के लिए 5 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। वहीं महिला श्रमिकों को प्रसूति सहायता के रूप में 16 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं, जिससे मातृत्व के दौरान आर्थिक बोझ कम हो सके।
श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगी सरकार
इस योजना की एक बड़ी खासियत यह भी है कि श्रमिक परिवारों के बच्चों की उच्च शिक्षा का पूरा शिक्षण शुल्क राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को पढ़ाई बीच में छोड़ने की मजबूरी नहीं होती और वे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। संबल योजना के जरिए सरकार असंगठित श्रमिकों को न सिर्फ आर्थिक सहायता, बल्कि सम्मान और सुरक्षा का भरोसा भी दे रही है।