Tirupati Temple में गैर हिंदू कर्मचारियों पर पाबंदी… दिया जाएगा वीआरएस

स्वतंत्र समय, अमरावती

मंदिर चलाने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ( Tirupati Temple ) बोर्ड ने सभी गैर हिंदू कर्मचारियों को मंदिर का काम छोडऩे का आदेश दिया है। यह आदेश 18 नवंबर को जारी हुआ। हालांकि, इस आदेश के जरिए कर्मचारियों को नौकरी से निकाला नहीं गया है, उन्हें वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम वीआरएस यानी समय से पहले रिटायरमेंट लेने का विकल्प दिया गया है।

Tirupati Temple गैर हिंदू कर्मचारियों पर पाबंदी होनी चाहिए

तिरुपति देवस्थानम ( Tirupati Temple )  के जो गैर हिंदू कर्मचारी वीआरएस नहीं लेना चाहते, उन्हें प्रदेश के दूसरे सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। 54वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अध्यक्ष बीआर नायडू ने कहा-जिस तरह मस्जिद में गैर मुस्लिम और चर्च में गैर ईसाई पर पाबंदी है, वैसे ही मंदिर में भी गैर हिंदू कर्मचारियों पर पाबंदी होनी चाहिए। इससे फ्रॉड सेक्युलरिज्म रुकेगा। बोर्ड के इस फैसले का कर्मचारी यूनियनों ने भी समर्थन किया है। टीटीडी ने इस फैसले का आधार संविधान के आर्टिकल 16(5) को बनाया है। संविधान के इसी आर्टिकल के आधार पर तिरुपति मंदिर के ट्रस्ट टीटीडी ने मंदिर में सिर्फ हिंदू कर्मचारियों को नौकरी देने का आदेश दिया है। सबसे पहले 1986 में गैर हिंदुओं को मंदिर से बाहर करने की मांग की गई थी।

मैहर के शारदा मंदिर में गैर हिंदू कर्मचारियों का विरोध

2023 में मप्र के मैहर में शारदा मंदिर से जुड़े गैर हिंदू कर्मचारियों को हटाने की घोषणा की गई। आबिद हुसैन, अयूब खान और यूसुफ खान मंदिर में काम करते थे। इन तीनों की नियुक्ति 1988 में हुई थी, लेकिन हिंदू संगठनों ने मुस्लिम कर्मचारियों का विरोध किया। उधर, 2021 में हिमाचल प्रदेश में जशन दीन और शकीन मोहम्मद को कांगड़ा के मां ज्वालामुखी मंदिर में लंगर सेवक नियुक्त किया गया था। मंदिर के 9 गैर सरकारी सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया। सदस्यों का कहना था कि हिंदू पहचान को बनाए रखने के लिए सिर्फ हिंदू कर्मचारियों की ही नियुक्ति होनी चाहिए।

पहले हटाए गए थे 44 गैर हिंदू कर्मचारी

2018 में मंदिर प्रशासन ने 44 गैर हिंदू कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें धार्मिक कामों से हटा दिया था। वे माली, ड्राइवर और अन्य गैर धार्मिक कामों में कार्यरत थे। 44 कर्मचारियों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने टीटीडी के फैसले को खारिज कर दिया। इसके बाद टीटीडी ने कर्मचारियों को मंदिर में गैर हिंदू प्रथाओं में शामिल न होने की शपथ दिलाई, जिसके बाद मामला शांत हुआ। यही वजह है कि मंदिर में गैर हिंदुओं के काम करने पर न रोक लग सकी और न उन्हें काम करने की इजाजत मिली।

1933 में टीटीडी बोर्ड का गठन हुआ

टीटीडी बोर्ड बालाजी मंदिर सहित 12 मंदिरों का मैनेजमेंट संभालता है। मौजूदा बोर्ड में 1 चेयरमैन सहित कुल 26 सदस्य हैं। बोर्ड का हर दो साल में गठन किया जाता है। आखिरी बार 54वें बोर्ड का गठन 2023 में किया गया। इसमें तिरुपति के तत्कालीन विधायक और कांग्रेस पार्टी के नेता बीके रेड्डी को चेयरमैन नियुक्त किया गया था। मगर उन्होंने इसी साल जून में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब बोर्ड के चेयरमैन बीआर नायडू हैं। बोर्ड ने सडक़ निर्माण, रेल, हॉस्पिटल, स्कूल और यूनिवर्सिटी के लोकल प्रोजेक्ट्स में भी इन्वेस्ट किया है। बोर्ड के अधीन 12 कॉलेज और 13 स्कूल चलाए जाते हैं।