स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में मंत्री और अफसर दोनों मिलकर धारा 16 के तहत भूमाफिया ( land mafia ) को विशेष अनुमति देने में लगे हुए हैं। प्रदेश में शहरी विकास का पहिया सरकार कागजों में कैद कर मास्टर प्लान का प्लान कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। जिससे मास्टर प्लान का तो सत्यानाश किया ही जा रहा है साथ ही शहरों के स्वरूप को भी विकृत किया जा रहा है। जन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए शहरों से लगे गांवों को शहर का हिस्सा तो बना लिया लेकिन मास्टर प्लान का प्लान नहीं बन पाया। प्रदेश में शहरों के विकास का पहिया सरकारी कागजों में ही कैद है।
land mafia ऊंचे दाम पर काट रहे प्लॉट
संपूर्ण विकास और लोगों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने शहरों से लगे गांवों को शहर का हिस्सा बताया। लेकिन मास्टर प्लान नहीं बनाया। बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में से सिर्फ ग्वालियर में ही मास्टर प्लान लागू हो सका। इंदौर और जबलपुर का विकास 2021 के मास्टर प्लान के भरोसे है। वहीं, भोपाल 19 साल पुराने मास्टर प्लान पर रेंगकर विकास की सीडियां चढ़ने को विवश है। भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 को रद करने के बाद मास्टर प्लान-2047 का ड्राफ्ट बनाया। राजधानी के 51 गांवों को इसमें जोड़ा जबलपुर में भी 55 गांव शहर में सामिल किए लेकिन सुविधाएं विकसित नहीं हुई। भूमाफिया ( land mafia ) ने प्लॉटिंग कर ऊंचे दाम में प्लॉट बेचकर चांदी काटी। अब से गांव न तो गांव रहे और न ही शहर का हिस्सा ही बन सके। नतीजा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग जूझ रहे हैं।
इंदौर के 79 गांवों में बिना सुविधा बसा दी कालोनी
10 साल पहले मास्टर प्लान क्षेत्र में आने से जिन गांवों को शहर में शामिल किया, वे अब भी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ड्रेनेज, पानी और स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। रहवासी परेशान हैं। इसका फायदा जमीन के जादूगरी ने उठाया। इन गांवों में चिना सुविधा कॉलोनियां बसाई। जमीनों के तीन गुना ज्यादा दाम देने के बाद भी यहां लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रहीं। दरअसल, मास्टर प्लान में 79 गांव को विकास क्षेत्र में शामिल किया। इनमें से 29 गांव 2015 में शहर में शामिल किए।
जबलपुर में 55 गांवों की जमीनों पर अतिक्रमण
52 ताल, 84 तलैया वाले जबलपुर के तालाब अतिक्रमण और अवैध कॉलोनाइजरों के निशाने पर है। कई तालाब कॉन्क्रीट के जंगल में बदल गए हैं। कई अंतिम सांसें गिन रहे हैं। 2014 में नगर निगम सीमा में 55 गाव शामिल होने के बाद और मास्टर प्लान में देरी से पुराने तालाब सहित पहाड़ की जमीनों, पर अतिक्रमण बढ़ रहा है। 2014 में परिसीमन के बाद शहर वके बाइपास से लगे तेवर गांव को मिलाकर वार्ड-71 बनाया और यहां के तालाब पर कब्जा है।
भोपाल में 51 गांव जुड़े, गांव की दिशा नहीं सुधरी
मास्टर प्लान ड्राफ्ट- 2031 रद्द करने के बाद मास्टर प्लान-2047 के ड्राफ्ट में राजधानी के आसपास के 51 गांव जोड़ें गए है। प्लानिंग एरिया 813.92 वर्ग किमी से बढक़र 10 16,90 वर्ग किमी हो गया। लेकिन प्लानिंग एरिया में शामिल गांव की दिशा नहीं सुधरी पुरानी बसाहट पहले से ही असुविधा झेल रही थी, प्लानिंग एरिया में शामिल होने के बाद बिना अनुमति खेती की जमीन पर विकसित नई बसाहट ने इसे कई गुना बढ़ा दिया। 2047 के लिए शहर में शामिल नए 51 गांवों के साथ बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में शामिल भोपाल व सीहोर जिले के 100 गांवों में से 30 को भी प्लानिंग गरिया में शामिल किया है।