भारतीय सरकारी बॉन्ड या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज आज से जेपी मॉर्गन-इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में जुड़ जाएंगी। पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर ट्रैक किए जाने वाले इस बॉन्ड इंडेक्स में भारत को पहली बार जोड़ा जा रहा है। ये भारतीय बॉन्ड बाजार, रुपये के साथ पूरी अर्थव्यवस्था के लिए एक खास कदम है। इसका असर देश के बॉन्ड बाजार के साथ ही साथ भारत सरकार के फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटे, करंट अकाउंट डेफिसिट और रुपये की वैल्यू पर भी पड़ेगा।
चरणबद्ध तरीके से शामिल होंगे बॉन्ड्स
भारतीय सरकारी बॉन्ड्स को जेपी मॉर्गन इंडेक्स में आज शुक्रवार 28 जून, 2024 से 31 मार्च, 2025 तक 10 महीने की अवधि में चरणबद्ध तरीके से जोड़ा जाएगा। कंपनी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, जे पी मॉर्गन इंडेक्स पर भारतीय बॉन्ड्स का अधिकतम वेट 10% होगा। जेपी मॉर्गन ने बताया कि भारतीय बॉन्ड्स को उसके गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स में कुल मिलाकर 10% वेटेज दिया जाएगा, लेकिन ऐसा एक बारी में नहीं होगा। इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड्स का वेटेज हर महीने 1-1% करके बढ़ेगा।
अगले 10 महीने यानी मार्च 2025 तक इस इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का वेटेज 10% हो जाएगा। जानकारों का मानना है कि इन 10 महीनों में जेपी मॉर्गन इंडेक्स में जुड़ने की वजह से भारतीय बॉन्ड्स में 24 अरब डॉलर से लेकर 30 अरब डॉलर तक का विदेशी निवेश मिल सकता है। यह रकम भारतीय डेट बाजार में जेपी मॉर्गन की घोषणा से पहले होने वाले विदेशी निवेश की तुलना में कई गुना अधिक है।
कितना बढ़ेगा निवेश?
BPEA क्रेडिट के प्रमुख कंचन जैन ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में जुड़ना देश के 1.2 ट्रिलियन के गवर्मेंट डेट बाजार के लिए ऐतिहासिक पल है। जब ये बदलाव लागू होगा, तो किसी भी इंडियन क्रेडिट फंड की अमेरिका, कोरिया या सिंगापुर के क्रेडिट फंड से तुलना आसान हो जाएगी।
एक मुख्य ग्लोबल इंडेक्स में भारत के जुड़ने से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था तक वैश्विक निवेशकों की पहुंच बढ़ेगी, जो इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा रिटर्न देती है। HSBC होल्डिंग्स के अनुसार, इससे भारत में 30 बिलियन डॉलर तक का इनफ्लो बढ़ सकता है।