आज लोकसभा में 75 महिला सांसद है, 2029 में 181 होंगी – डॉ वर्मा

इंदौर में आयोजित अभ्यास मंडल की 65वीं व्याख्यानमाला में चिंतक और विचारक डॉ. ए.के. वर्मा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव आयोग को मतदाता जागरूकता के साथ-साथ प्रत्याशी जागरूकता अभियान भी शुरू करना चाहिए। संविधान दिवस के अवसर पर “संविधान, शिक्षा और विकास” विषय पर दिए गए उनके संबोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि आगामी वर्षों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने वाली है।

वर्तमान में लोकसभा में 75 महिलाएं हैं, जबकि 2029 के चुनाव के बाद यह संख्या बढ़कर 181 होने का अनुमान है। ऐसे में महिलाओं के बीच राजनीतिक जागरूकता और राजनीतिक दलों की ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।

संविधान नागरिकों की सबसे अहम निधि

डॉ. वर्मा ने कहा कि संविधान हर भारतीय नागरिक के लिए एक महत्वपूर्ण निधि है, जिसे समझना और सम्मान देना जरूरी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अमेरिका का संविधान केवल छह धाराओं का है, जबकि भारत का संविधान 395 धाराओं के साथ विविधताओं से भरे देश के अनुरूप तैयार किया गया है। भारत की भाषायी, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के बीच संविधान ही वह आधार है, जो व्यक्ति, समाज और समूहों के बीच उत्पन्न संघर्षों का समाधान देता है। संविधान की तीनों शाखाओं पर भी शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के प्रावधान स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।

महिला आरक्षण लागू होने के बाद बढ़ेगी बड़ी जिम्मेदारी

उन्होंने बताया कि हाल ही में पारित 106वें संविधान संशोधन के अंतर्गत संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है। जब यह संशोधन लागू होगा, तब 2029 तक लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर 181 तक पहुँचने की संभावना है। लेकिन उन्होंने चेताया कि पंचायतों और नगरीय निकायों की तरह “सरपंच पति” जैसी स्थिति राष्ट्रीय राजनीति में नहीं चल सकती। इसलिए चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक दल योग्य और सक्षम महिलाओं को टिकट दें।

उनके अनुसार, यदि ‘नोटा’ को सर्वाधिक मत मिलते हैं, तो किसी भी प्रत्याशी को विजयी घोषित न किया जाए। इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी और राजनीतिक दल सही उम्मीदवारों के चयन पर मजबूर होंगे।

शिक्षा में बदलाव: प्रगति की ओर बड़ा कदम

डॉ. वर्मा ने शिक्षा व्यवस्था पर भी विस्तृत विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि 1835 में लागू हुई मैकाले शिक्षा पद्धति ने भारतीयों के आत्मसम्मान को कमजोर किया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के बाद सरकार ने 2035 तक संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव का लक्ष्य रखा है। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा न सिर्फ ज्ञान प्रदान करेगी, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की भावना भी उत्पन्न करेगी, जो देश की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी।

कार्यक्रम में अतिथियों का सम्मान

व्याख्यान की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत शफी शेख और डॉ. पल्लवी अढ़ाव ने किया। अशोक कोठारी ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ताओं बी.एल. पावेचा और ओ.पी. नरेडा ने डॉ. वर्मा को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का समापन अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।