यातायात प्रबंधन मित्र बोले – ‘अपने ही लगाए जाम में फँसने को अभिशप्त हैं हम’

आधुनिक तकनीक ने हमें संचार और सड़क का विशाल नेटवर्क दिया है, लेकिन धार्मिक आस्था के बड़े आयोजन अक्सर हमारी सामूहिक नागरिक समझ की पोल खोल देते हैं। सीहोर जैसे स्थानों पर लगने वाले जाम सिर्फ ट्रैफिक की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह हमारी अनुशासनहीनता और नियमों के प्रति लापरवाही का आईना हैं। ये जाम दिखाते हैं कि हम कैसे अपनी ही सुविधा के लिए बनाए गए नियमों को तोड़कर खुद को और दूसरों को मुसीबत में डाल देते हैं।

जिम्मेदारी से पलायन: किसका है यह बोझ

किसी भी बड़े आयोजन में भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की नहीं होती। अक्सर आयोजक सिर्फ भीड़ और भव्यता पर ध्यान देते हैं, जबकि व्यवस्था और अनुशासन को नजरअंदाज कर दिया जाता है। प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को आयोजन स्थल से कई किलोमीटर पहले और वैकल्पिक रास्तों पर तैनात किया जाना चाहिए ताकि वे यातायात को सुचारु बनाए रख सकें। आयोजकों को प्रशासन के साथ मिलकर वैकल्पिक मार्गों की जानकारी लोगों तक पहुंचानी चाहिए।

सोशल मीडिया, रेडियो और अखबारों के माध्यम से लगातार यातायात संबंधी अपडेट देना भी जरूरी है। यह सोचना गलत है कि सारी जिम्मेदारी पुलिस या प्रशासन की है। जब तक हम, नागरिक और आयोजक, अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। आयोजन की सफलता में सबका योगदान होता है।

अनुशासनहीनता की मिसाल: बना-बनाया रास्ता भी बेकार

सरकार ने पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए एक चौड़ा और सुगम वैकल्पिक रास्ता बनाया था। इस रास्ते के निर्माण में स्थानीय लोगों ने भी अपने घर और जमीन का त्याग किया था, ताकि सार्वजनिक हित हो सके। यह रास्ता यात्रा को काफी आसान बना सकता था, लेकिन यह दुखद है कि हमारी अनुशासनहीन प्रवृत्ति के कारण यह प्रयास भी असफल हो गया।

हाल के जाम से पता चलता है कि वाहन चालकों ने इस सुविधाजनक मार्ग का उपयोग करने के बजाय अपने ‘शॉर्टकट’ के भ्रम में नियमों की धज्जियां उड़ाईं। भारत में ट्रैफिक जाम सिर्फ सड़कों की कमी से नहीं होते, बल्कि हमारी ‘मैं पहले’ की मानसिकता से होते हैं। जैसे ही आगे की गाड़ी रुकी, पीछे वाले की बेचैनी बढ़ गई और वह गलत दिशा से आगे निकलने की कोशिश में खुद को और दूसरों को फंसा लेता है। यह सामूहिक यातना हमारी नियम तोड़ने की आदत का परिणाम है।

समस्या का मूल: उतावलापन और लापरवाही

हमारी ट्रैफिक समस्या के कई कारण हैं, जो हम रोज सड़कों पर देखते हैं:
• उतावलापन और धैर्य की कमी: थोड़ी भी देरी होते ही लोग गलत तरीके से आगे निकलने की कोशिश करते हैं, जिससे पूरा ट्रैफिक जाम हो जाता है।
• दूसरों की नकल: एक व्यक्ति नियम तोड़ता है तो बाकी लोग बिना सोचे-समझे उसका अनुसरण करते हैं। यह जिम्मेदार नागरिकों का नहीं, बल्कि मूर्ख लोगों की भीड़ का व्यवहार है।
• अशिष्ट व्यवहार: जब स्थानीय स्वयंसेवक या पुलिस यातायात सुधारने की कोशिश करते हैं, तो कई लोग सहयोग करने के बजाय उनसे बहस और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं।
• यातायात शिक्षा का अभाव: हमारे समाज में बच्चों को घर या स्कूल में यातायात के नियमों का पालन करना नहीं सिखाया जाता। यह कमी सड़कों पर साफ दिखाई देती है।

मीडिया की जिम्मेदारी: सिर्फ सनसनी नहीं, आईना दिखाएं

मीडिया अक्सर प्रशासन की आलोचना करता है, लेकिन जनता की गलतियों को उजागर करने से बचता है। सिर्फ जाम की तस्वीरें दिखाकर सनसनी फैलाने के बजाय, मीडिया को वाहन चालकों की लापरवाही, नियम तोड़ने की आदतों और आयोजकों की कमियों को भी उतनी ही प्रमुखता से दिखाना चाहिए। जब समाज को अपनी ही गलतियां दिखाई जाएंगी, तभी सुधार की शुरुआत होगी। यदि मीडिया लगातार यह बताए कि कैसे गलत पार्किंग, गलत लेन में ड्राइविंग और धैर्य की कमी से जाम लगते हैं, तो लोग सबक लेंगे।

आत्ममंथन की आवश्यकता: सड़क पर आपका चरित्र

यह समय है कि हम सब आत्ममंथन करें। क्या हम वाकई एक जिम्मेदार नागरिक की तरह व्यवहार करते हैं? क्या हमारी प्राथमिकताएं सिर्फ अपने स्वार्थ तक सीमित हैं? सड़क का जाम किसी सरकार या मौसम की देन नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही और नागरिक निष्क्रियता का नतीजा है।

सुधार की शुरुआत तभी होगी, जब हम व्यक्तिगत स्तर पर नियमों का पालन करेंगे। सड़क पर आपका व्यवहार आपके चरित्र और आपके समाज की सच्ची पहचान है। एक सच्चे नागरिक की पहचान उसके कर्तव्यों से होती है, न कि केवल अधिकारों की मांग से।
हमें यह समझना होगा कि सार्वजनिक व्यवस्था सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। अगर हम नहीं सुधरे तो ऐसे धार्मिक आयोजन ‘पुण्य’ की जगह ‘सामूहिक यातना’ के प्रतीक बने रहेंगे।

आइए, आज से ही बदलाव की शुरुआत करें। नियमों का पालन करें, दूसरों को प्रेरित करें, और आने वाली पीढ़ी को सिखाएं कि प्रगति सिर्फ तकनीकी विकास से नहीं, बल्कि अनुशासन और नागरिक कर्तव्यों के पालन से होती है।