अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार मंच पर बड़ी हलचल मचा दी है। आज, शनिवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए पत्रों के जरिए ट्रंप ने ऐलान किया कि 1 अगस्त से यूरोपीय यूनियन (EU) और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
EU और मैक्सिको की उम्मीदों पर फिरा पानी
यूरोपीय यूनियन लंबे समय से अमेरिका के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते की कोशिश में लगा हुआ था। खासकर औद्योगिक उत्पादों पर टैरिफ को समाप्त करने के उद्देश्य से कई महीनों तक गहन बातचीत चली। लेकिन ट्रंप प्रशासन के अचानक टैरिफ लगाने के फैसले ने EU की रणनीति पर पानी फेर दिया। अब यह 27 देशों वाला समूह, खासतौर पर जर्मनी जैसे औद्योगिक राष्ट्र, इस फैसले से बेहद चिंतित हैं। जर्मनी चाहता है कि जल्दी से कोई समझौता हो ताकि उनके उद्योगों को क्षति न पहुंचे, वहीं फ्रांस जैसे कुछ देश अमेरिका की शर्तों पर झुकने से इंकार कर रहे हैं और एकतरफा फैसलों से बचने की बात कर रहे हैं।
मेक्सिको को मिला मिला-जुला संदेश
राष्ट्रपति ट्रंप ने मेक्सिको के राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में यह माना कि मेक्सिको ने अमेरिका में अवैध प्रवासियों और ड्रग्स (विशेषकर फेंटेनाइल) की आपूर्ति को रोकने में मदद की है। लेकिन ट्रंप का मानना है कि यह कदम पर्याप्त नहीं हैं और मेक्सिको को उत्तरी अमेरिका को नार्को-तस्करी के केंद्र में बदलने से रोकने के लिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इसी कारण, मैक्सिको पर भी 30% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया गया है।
पहले से ही कई देश हैं टैरिफ के घेरे में
अमेरिका पहले ही जापान, साउथ कोरिया, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुका है, जो 1 अगस्त से लागू होंगे। ट्रंप ने इन सभी देशों को 9 जुलाई तक की समयसीमा दी थी कि वे अमेरिका के व्यापारिक हितों के अनुसार कदम उठाएं, वरना वे दंडात्मक टैरिफ के लिए तैयार रहें।
टैरिफ से बढ़ी अमेरिकी आमदनी
ट्रंप के कार्यकाल में टैरिफ को अमेरिकी सरकार के लिए एक राजस्व का प्रमुख स्रोत बना दिया गया है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में अब तक सीमा शुल्क से 100 अरब डॉलर से अधिक की कमाई हो चुकी है। हालांकि, यह कदम जहां अमेरिका को आर्थिक लाभ दे रहा है, वहीं वैश्विक व्यापारिक रिश्तों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है।