अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अपने निर्णय को फिलहाल स्थगित कर दिया है। यह निर्णय पहले 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होना था, लेकिन अब इसे 7 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है। इस अस्थायी राहत ने भारतीय व्यापारिक समुदाय और सरकार को थोड़ी राहत दी है। भारत सरकार के अनुसार, अमेरिका के इस निर्णय से फिलहाल भारत पर तात्कालिक दबाव नहीं बनेगा और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिशें जारी रहेंगी।
भारत ने दिया स्पष्ट संदेश: देशहित सर्वोपरि
टैरिफ की घोषणा के बाद से ही भारत में इसके संभावित प्रभावों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं। इस मुद्दे पर विपक्ष ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। इसके जवाब में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार किसी भी स्थिति में देश के किसानों, उद्योगों, और छोटे उद्यमियों के हितों की अनदेखी नहीं करेगी। भारत सरकार किसी भी वैश्विक दबाव में आए बिना राष्ट्रहित में जरूरी फैसले लेने के लिए प्रतिबद्ध है।
व्यापार समझौते पर गतिरोध अभी भी कायम
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर पिछले कई हफ्तों से बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। ट्रंप पहले भी अप्रैल और जुलाई में टैरिफ लागू करने की समयसीमा को टाल चुके हैं। लेकिन इस बार उनके फैसले का दायरा और बड़ा हो गया है, क्योंकि इसमें कुल 92 देशों को शामिल किया गया है। भारत इन देशों में शामिल है और इसलिए इसके प्रभाव को लेकर चिंता बनी हुई है।
सरकार कर रही है टैरिफ के असर का आकलन
पीयूष गोयल ने लोकसभा में जानकारी दी कि भारत सरकार अमेरिकी टैरिफ के संभावित प्रभावों का विश्लेषण कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों, श्रमिकों, एमएसएमई, निर्यातकों और बड़े औद्योगिक घरानों के हितों की रक्षा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक भारत और अमेरिका के बीच चार आमने-सामने की बैठकें दिल्ली और वॉशिंगटन में हो चुकी हैं, इसके अलावा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी संवाद जारी है।
भारत का रुख: आत्मनिर्भरता और संतुलन की ओर
इस घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत वैश्विक व्यापार दबावों के बीच संतुलित और स्वाभिमानी दृष्टिकोण अपनाए हुए है। जहां एक ओर अमेरिका से संबंधों को मधुर बनाए रखने की कोशिश की जा रही है, वहीं भारत यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को कोई आघात न पहुंचे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका और भारत किसी स्थायी व्यापारिक सहमति पर पहुंचते हैं या फिर टैरिफ की तलवार फिर से लटकती है।