ED की छापेमारी में सामने आया बिहार की सियासत का सच,घोटाले में सामने आये सभी टर्न और ट्विस्ट

ED: 2004 में तेजस्वी यादव पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप

पटना: लालू ने कहा हमने आपातकाल का काला दौर भी देखा है | ED की छापेमारी में आज मेरी बेटियों, नन्हें-मुन्ने नातियों और गर्भवती पुत्रवधु को 15 घंटों से बैठा रखा है | क्या अब बीजेपी हमसे राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगी? राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जब ये ट्वीट किया होगा तो उनके मन में क्या चल रहा होगा | भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा लालू का परिवार जब तक सत्ता में नहीं आया था तब तक सबकुछ ठीक चल रहा था |

नीतीश कुमार ने लालू से बिहार में हाथ क्या मिला लिया | केंद्रीय एजेंसियां लालू के खिलाफ एक बार फिर से एक्टिव हो चुकी है | राजद ने एजेंसियों की इस कार्रवाई के पीछे के आशय को भांप लिया है | राजद में अब एक ही सवाल है कि ‘लगा भ्रष्टाचार का दाग हटाए कैसे’। लालू के अलावा तेजस्वी को भी यही लग रहा है कि इस झमेले से कैसे छुटकारा पाए |

राजद नेताओं में दिखा आक्रोश

राजद नेताओं का यह कहना है कि ED और सीबीआई का मकसद सिर्फ जांच करना नहीं है | बल्कि यह लोग बीहार की सरकार बदलना चाहते हैं | राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस छापेमारी का बड़ा खुलासा किया है | पहले मनोज झा ने लगाया बीजेपी पर एक बड़ा आरोप लगाया है | कहा,छापेमारी के जरिए सरकार बदलने की प्रतिक्रिया चल रही है | झा ने सवाल किया कि सीबीआई और ED जैसी एजेंसियों की छवि धुंधली हो गयी है | यह छापेमारी नहीं बल्कि वह किसी और की पटकथा पर छापे मार रहे हैं |

लालू यादव का परिवार परेशान

ED ने ‘नौकरी के बदले जमीन घोटाला’ मामले में धनशोधन की जांच के सिलसिले में शुक्रवार को बिहार के कई शहर और अन्य जगहों पर छापेमारी की है | यह छापे पटना, फुलवारीशरीफ, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, रांची और मुंबई में लालू प्रसाद की बेटियों रागिनी यादव, चंदा यादव,हेमा यादव और राजद के पूर्व विधायक अबू दोजाना के परिसरों में मारे जा रहे हैं | यह मामला यादव परिवार को उपहार में दी गई या फिर सस्ती दरों पर बेची गई जमीन के बदले रेलवे में लोगों को कथित तौर पर रोजगार देने से संबंधित है |

इस मामले में लालू प्रसाद और राबड़ी देवी दोनों से सीबीआई द्वारा पूछताछ की गयी थी | लालू परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप पहले से ही लगा हुआ है | बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव के पश्चात्,भाजपा और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई थी | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़ दिया था | नीतीश कुमार ने बाद में राजद के समर्थन से सरकार बनाई थी और तेजस्वी यादव बिहार के उप मुख्यमंत्री भी बने |

बिहार की सियासत पर खतरा

ED और सीबीआई की छापेमारी का सबसे बड़ा असर बिहार की सियासत पर दिखने लगा है | जानकारों ने कहा कि लालू परिवार पर हो रही कार्रवाई को लेकर पहले भी नीतीश कुमार कहते है की उन्होंने मई 2022 में छापेमारी में प्रतिक्रिया दी थी | उस वक्त वे बीजेपी की सरकार में थे | नीतीश कुमार जीरो टॉलरेंस के लिए जाने जाते हैं और इस बार वो तेजस्वी के साथ में खड़े है |भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ा और कुछ इसी तरह की पटकथा दोहराई जा रही है |

नीतीश की चुप्पी हैरान कर देगी

शुक्रवार को नीतीश कुमार जब जुब्बा सहनी की मूर्ति के अनावरण के लिए पहुंचे थे | जब उनसे पत्रकारों ने सवाल पूछा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के कई ठिकानों पर सीबीआई और ED की छापेमारी चल रही है | तभी वह सवाल को टालते हुए सीधे अपनी गाड़ी की और चल पड़े | नीतीश कुमार इस छापेमारी पर कुछ भी प्रतिक्रिया ना देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ फिर से नाराजगी जताने लगे | बिहार के गलियारों में चर्चाओं का बाजार बेहत गरम है कि क्या लगता है नीतीश कुमार एक बार फिर से 2017 की तरह पलटी मारेंगे?