स्वतंत्र समय, इंदौर
पीथमपुर ( Pithampur ) में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के संबंध में चर्चा के लिये आज एआईसीटीएसएल कार्यालय के सभा कक्ष में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न हुई। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक में अवगत कराया गया कि आम जन मानस के मन में जो भ्रांतियां हैं उन सभी बिन्दुओं पर गुरुवार को चर्चा की गयी।
Pithampur में कचरा जलाने के संबंध में बैठक में ये रहे शामिल
पीथमपुर ( Pithampur ) में कचरा जलाने के संबंध में बैठक में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, विधायकगण श्रीमती नीना वर्मा, मधु वर्मा सहित राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनप्रतिधि, पर्यावरणविद, प्रबुद्ध नागरिक तथा मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस मौके पर उपस्थित जनप्रतिनिधि, विशेषज्ञ तथा प्रबुद्ध नागरिक जो उनके मन में भ्रांतियां थी, उससे संबंधित प्रश्न उठाये गये। सभी प्रश्नों को दृष्टिगत रखते हुये राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तथा पर्यावरण विशेषज्ञ द्वारा जनसामान्य को अवगत कराया गया। बैठक में बताया गया कि यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से पीथमपुर ( Pithampur ) तक केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाईडलाइन के अनुरूप पैकिंग, लोडिंग तथा परिवहन कंटेनरों में लीक प्रूफ एवं फायर प्रूफ कंटेनरों में वैज्ञानिक पद्धति से लाया गया।
गैसों की लगातार मॉनिटरिंग की जायेगी
बैठक के दौरान उपस्थित अधिकारियों एवं विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार इस कचरे का निष्पादन पीथमपुर टीएसडीएफ में किया जा रहा है। यह भी बताया गया कि केन्द्र की एपेक्स संस्थान जैसे नीरी नागपुर, एनजीआरआई हैदराबाद, आईआईसीटी हैदराबाद तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुशंसाओं के अनुसार इसके भष्मीकरण का निर्णय माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा लिया गया। इस भष्मीकरण के दौरान भशमक से निकलने वाली गैसों की लगातार मॉनिटरिंग की जायेगी।
शीतकाल में कचरे के जलाने से प्रदूषण का प्रभाव ज्यादा होगा
इसके परिणाम जनसामान्य को सतत रूप से उपलब्ध कराये जायेंगे। जहां तक इस कचरे के शीतकाल में जलाने का प्रश्न है, उसके संदर्भ में बताया गया कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि शीतकाल में कचरे के जलाने से प्रदूषण का प्रभाव ज्यादा होगा। बैठक के दौरान यह भी अवगत कराया गया कि वर्ष 2013 और 2015 में जो ट्रायल रन किये गये थे, उसमें निकलने वाली गैसों में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विधिवत सभी अनशंषित मेटल्स तथा डायोक्सीन तथा फ्यूरान की मॉनिटरिंग की गयी थी जो निर्धारित मानक सीमा में पायी गयी थी। बैठक में उपस्थित जनसामान्य को यह भी अवगत कराया गया कि पीथमपुर में स्थापित टीएसडीएफ इस प्रकार के अपशिष्टों अपवहन हेतु एक सक्षम संस्था है, जिस कारण यूनियन कार्बाइड के कचरे का अपवहन का निर्णय समस्त तकनीकी पहलूओं को जांच कर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया है तथा यह अपवहन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निदेर्शों के अनुरूप किया जायेगा।
आमजन की शंकाओं और भ्रांतियों को दूर किया जायेगा
बैठक के अंत में मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंशा के अनुसार इस कचरे का निष्पादन वैज्ञानिक पद्धति एवं माननीय न्यायालय के निदेर्शों के तहत आमजन की शंकाओं और भ्रांतियों को दूर करते हुये किया जायेगा और सभी क्षेत्रीय जनमानस के हितों का ध्यान रखा जायेगा। बैठक के अंत में मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संदेश से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में जनहित की सरकार है और जनता का हित सर्वोपरि है। कचरा विनष्टीकरण की सम्पूर्ण कार्रवाई में जनता को कष्ट नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
पटवारी मिले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने के मामले में स्पष्टता की कमी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि शहर और जनता के हित से जुड़ा है। सरकार को विशेषज्ञों के अनुभव का लाभ उठाते हुए इस मामले के संभावित नुकसान और अन्य पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए। पटवारी ने चेतावनी दी कि पूर्व के अनुभवों के अनुसार, जहरीला कचरा जलाने के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अगर इसे जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई, तो इसका निकट भविष्य में यशवंत सागर पर नकारात्मक असर हो सकता है। यशवंत सागर का पानी इंदौरवासियों की जरूरतें पूरी करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। जीतू पटवारी ने कहा कि उनकी सुमित्रा महाजन से भी इसी विषय पर चर्चा हुई है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस मामले में रिव्यू याचिका दायर करे और कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके दूरगामी प्रभावों का गहराई से मूल्यांकन करे। उनका मानना है कि यह निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए, ताकि जनता और पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव न पड़ें।
इस कचरे को जलाना ही क्यों आवश्यक है
बैठक में प्रश्न उठाये गये कि इस कचरे को जलाना ही क्यों आवश्यक है, क्या भष्मीकरण के दौरान इसकी नियमित मॉनिटरिंग की जायेगी, कचरा का भश्मीकरण शीतकाल में ही क्यों किया जा रहा है, 2013 और 2015 में जब ट्रायलरन किया गया था तब क्या हानिकारक मेटल तथा डायक्सीन व फ्यूरॉन गैसों की मॉनिटरिंग की गयी थी तथा क्या टीएसडीएफ पीथमपुर इस तरह के कचरे को जलाने के लिये उपयुक्त है।