स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र की जीवनदायिनी नर्मदा नदी के जल तथा सरदार सरोवर पर बने बांध को लेकर विवाद का निपटारा करने के लिए मप्र बैच की पूर्व IAS अधिकारी अलका सिरोही और गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव के बीच 22 मार्च को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता बैठक होगी। मप्र और गुजरात सरकार के बीच सालों से विवाद चल रहा है। कभी पानी के बंटवारे को लेकर विवाद होता है तो कभी बांध के गेट खोलने के मुद्दे पर विवाद हो जाता है। अब मप्र सरकार ने नर्मदा के जल को लेकर गुजरात सरकार से 7 हजार करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है।
दोनों IAS की 22 मार्च को बैठक होनी है
नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध दोनों राज्यों के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। गुजरात सरकार के उपक्रम सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के अनुसार, बांध से राज्य के 19 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है। 75 हजार किमी नहरों का जाल यह बांध गुजरात के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के 9490 गांव और 173 कस्बों की प्यास बुझाता है। बांध पर 1,450 मेगावाट का जल विद्युत संयंत्र स्थापित है। जिससे हर साल 1 अरब किलोवाट बिजली पैदा करने का दावा है। हालांकि बिजली के बंटवारे को लेकर भी दोनों राज्यों के बीच लेनदेन का विवाद रहा है। मप्र नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के IAS अधिकारियों को अगले हफ्ते 22 मार्च को प्रस्तावित मध्यस्थता बैठक में हर्जाने को लेकर विवाद पर समाधान होने की संभावना है।
मध्यप्रदेश सरकार ने सात साल बाद मांगा हर्जाना
मप्र सरकार ने सरदार सरोवर बांध पूरा होने के 7 साल बाद गुजरात सरकार से यह हर्जाना मांगा है। 2017 में तमाम विरोधों के बाद बांध की भराव क्षमता 139 मीटर कर दी गई। 2019 में मप्र में कांग्रेस सरकार बनने के बाद बांध को लेकर पूर्व में किए गए समझौते की शर्तों के आधार पर गुजरात सरकार से 7 हजार करोड़ रुपए पुर्नवास, जमीन, वन क्षेत्र सहित अन्य संसाधनों के मांगे थे। जिसमें विस्थापितों के लिए बेहतर सुविधाएं, उनके पुनर्वास, मुआवजा और निर्माण कार्य शामिल हैं। इसके बाद से गुजरात सरकार से लगातार पत्राचार चल रहा है।
3 साल पहले 904 करोड़ रुपए का क्लेम
सरदार सरोवर बांध को लेकर करीब 3 साल पहले भी मप्र ने कम बिजली देने पर गुजरात सरकार पर 904 करोड़ रुपए का क्लेम किया था। इसके जवाब में गुजरात ने कम पानी देने का आरोप लगाते हुए मप्र से 5 करोड़ रुपए की मांग की थी। मप्र सरकार ने यह कहकर गुजरात सरकार पर 904 करोड़ रुपए का क्लेम किया था कि समझौते के मुताबिक गुजरात ने उसे इस साल बिजली सप्लाई नहीं की। इसके चलते मप्र को अन्य राज्यों से 904 करोड़ रुपए की बिजली खरीदनी पड़ीं। सरदार सरोवर बांध से कम बिजली पैदा हुई और इससे गुजरात को ही 10 मिलियन यूनिट का नुकसान हुआ था।