दो शादियां, पर नहीं जाएगी विधायकी! बांबे हाईकोर्ट ने दिया बीजेपी नेता के पक्ष में एतिहासिक फैसला

मुंबई से एक रोमांचक राजनीतिक ड्रामा सामने आया है, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक राजेंद्र गावित को बड़ी राहत देते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि “दो शादियां करना चुनावी नियमों का उल्लंघन नहीं है, जबकि इसका ईमानदारी से खुलासा किया गया हो।

क्या है पूरा मामला?
पालघर के सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर जैन ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि गावित की दूसरी शादी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अवैध है, और इस वजह से चुनावी हलफनामे में दूसरी पत्नी रूपाली गावित का उल्लेख करना नियमों के खिलाफ है।
लेकिन राजेंद्र गावित ने न सिर्फ अपनी दोनों पत्नियों की जानकारी दी, बल्कि दोनों के PAN नंबर और इनकम टैक्स रिटर्न की स्थिति तक सार्वजनिक की। गावित ने कोर्ट में यह भी बताया कि वह आदिवासी भील समुदाय से आते हैं, जहां बहुविवाह को सामाजिक मान्यता प्राप्त है।

हाईकोर्ट का तगड़ा जवाब
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने स्पष्ट करते हुए फैंसला दिया कि किसी उम्मीदवार का दो विवाह करना और उसका खुलासा करना नामांकन अमान्य नहीं बनाता। गावित ने जो जानकारी दी, वह स्वैच्छिक और पूरी तरह सच थी। चुनाव फॉर्म में कॉलम जोड़कर किसी जानकारी को भरना, जब वह नियमों के खिलाफ न हो, तो चुनाव रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता।

“ईमानदारी” बनी बचाव की ढाल
कोर्ट ने कहा कि गावित ने पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ अपनी वैवाहिक स्थिति बताई, और ऐसे मामलों में सच्चाई को छिपाना नहीं, बल्कि सच को बताना सराहनीय है। अदालत ने इस आधार पर चुनाव को शून्य घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया है।
राजेंद्र गावित की दो शादियों को लेकर उठे विवाद पर अब कानूनी विराम लग गया है। कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया कि चुनाव में ईमानदारी से दी गई जानकारी, चाहे वह बहुविवाह जैसी संवेदनशील बात ही क्यों न हो, अपराध नहीं है। बल्कि यह एक सच बोलने वाले नेता की मिसाल है।