राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
कोई माने या ना माने इंदौर के अंतर्राष्ट्रीय नटवरलाल भू-माफिया ( land mafia ) ने दस साल में दो हजार करोड़ से ज्यादा की प्लॉटों की डायरियां महज एक कागज का टुकड़ा बना दी है। दरअसल पैंतीस से ज्यादा ऐसी कालोनियां हैं जिसमें सिर्फ डायरियों पर ही प्लॉट बेचे गए बमुश्किल पांच दस फीसदी डायरी वालों को ही प्लॉट मिले, अकेले ब्लूमवर्ग कॉलोनी के प्लाट होल्डर पांच सौ से ज्यादा हैं जो बेचारे प्लॉट के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, जिनको अभी तक न तो प्लॉट मिला, ना ही डायरी के पैसे मिले कॉलोनाईजर और प्रापर्टी दलाल भी भाग गए।
land mafia: प्रापर्टी का डब्बा गोल पार्ट – 11
लोग डायरी ले, लेकर कलेक्टर ऑफिस और पुलिस कमिश्नर आफिस के चक्कर लगा, लगाकर थक गए हैं। डायरी वालों ने हर मंगलवार हनुमान जी की आरती उतारने की बजाय, डायरियां लेकर जन सुनवाई में जा रहे हैं। डायरी वालों की चप्पलें घिस गईं लेकिन किसी भी अफसर को इन पर दया नहीं आई कलेक्टर आफिस के अफसर कहते हैं कि, क्या हमसे पूछकर डायरियां खरीदीं। डायरी पर जो लिखा रहता है उससे यह साबित नहीं होता है कि कौन सी कालोनी में प्लॉट बुक किया है कितने स्क्वेयर फिट का है कितने पैसे जमा करवाएं हैं। कॉलोनाईजर डायरी पर सिग्नेचर भी खुद नहीं करते, उनके ऑफिस के नौकर से साईन करवाते हैं। ऐसे में कैसे पता चलेगा कि किस कॉलोनाईजर ने पैसा लिया, हस्ताक्षर भी नहीं मिलेंगे। अब ऐसे में जो डायरी वाले हैं वो सिर्फ डायरी लेकर ही घूमते रहेंगे। पुलिस भी इनकी सुनवाई नहीं करती। जिन प्रापर्टी दलालों ने ये डायरियां दी हैं, वो अब दलाल भी यह कहते हैं कि कॉलोनाईजर डूब गया तो हम क्या करें। जैसे हुण्डी दलाल ब्याज पर पैसे देने का काम करते हैं और जो ब्याज पर पैसा लेते हैं वो अपने आपको दिवालिया घोषित कर देते हैं। वैसा ही डायरी वाले कॉलोनाईजरों ने भी किया इंदौर के एक सफेदपोश भू-माफिया ने जैन समाज का नाम ऐसा डुबाया कि जिनसे प्लॉट की डायरी के बदले में दस लाख रूपये लिये थे। उसमें से पांच लाख रूपये जो चैक से लिए, वो तो वापिस कर दिए, लेकिन जो पैसा नगद पांच लाख रूपये लिया, वो पैसा देने से मना कर दिया। कॉलोनाईजर ने साफ कह दिया कि किसान से जमीन का विवाद चल रहा है विवाद निपटने के बाद ही पैसा मिलेगा। चैक के पांच लाख रूपये देकर कॉलोनाईजर ने डायरियां भी जब्त कर लीं। ‘अब मरता क्या ना करता’ की तर्ज पर जो मिला वो ले लिया। इंदौर शहर में लगभग छह हजार डायरियां इधर से उधर घूम रही हैं। कोई भी अब डायरी खरीदने को तैयार नहीं है, जिन्होंने डायरी गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा लिया था, वो भी पैसा ब्याज माफियाओं का डूब गया है, क्योंकि लाखों रूपए की प्लॉट की डायरी महज एक कागज का टुकड़ा बनकर रह गई है। अब इन डायरी वालों की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।
लोगों को लगातार करते रहेंगे सचेत
हम लगातार प्रापर्टी के काले-कारनामे उजागर कर रहे हैं, ताकि आम जनता सावधान हो जाए। भले ही लोग पांच-दस लाख रूपये की नोटों की गड्डियां दान धर्म कर दें, लेकिन डायरी वाला प्लॉट नहीं खरीदें। जिनके पास डायरी है वो कॉलोनाईजर के घर और ऑफिस का घेराव करें। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी होना चाहिए, जो गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा खाकर करोड़ों रूपए की कारों में घूम रहे हैं, विदेश में जाकर अय्याशी कर रहे हैं। इन कॉलोनाईजरों की पत्नियां लाखों के गहने पहन रही हैं, बच्चे पब में जाकर लाखों रूपये उड़ा रहे हैं। इसके अलावा ये सफेदपोश कॉलोनाईजर वास्तव में किसी आतंकवाद से कम नहीं हैं। इन आतंकवादियों को समय रहते नहीं पहचाना तो ये लोगों को जहर खाने पर मजबूर कर देंगे । हम तो अपनी तरफ से लोगों को लगातार सचेत करने का काम लगातार करते रहेंगे। हम चाहते हैं कि इंदौर जैसे बड़े शहर में प्रापर्टी का बाजार खूब चले, लेकिन ईमानदारी से बाकी लोगों की इच्छा जय-जय सियाराम …