Ujjain Mahakal Temple Protocol: उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में एक बार फिर गर्भगृह में प्रवेश के नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। इस बार अरबपति व्यवसायी और कल्याणी समूह के प्रमुख बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी अपनी पत्नी के साथ बिना अनुमति के गर्भगृह में प्रवेश कर गए और करीब 10 मिनट तक वहां पूजन-अर्चन किया। इस घटना को लेकर मंदिर प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
यह घटना सोमवार दोपहर की है, जब अरबपति व्यवसायी बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी और उनकी पत्नी महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। उनके साथ स्वामी उत्तम महाराज और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज भी मौजूद थे। दर्शन के दौरान दोनों पति-पत्नी ने नियमों की अनदेखी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश कर लिया। महाकाल मंदिर प्रशासन के अनुसार, गर्भगृह में प्रवेश को लेकर करीब डेढ़ वर्ष से सख्त प्रतिबंध लागू है। केवल पुजारी, मुख्यमंत्री, राज्यपाल या विशिष्ट अतिथियों को ही अनुमति लेकर गर्भगृह में प्रवेश की इजाजत दी जाती है, जबकि आम श्रद्धालुओं को शिवलिंग से 50 फीट दूर से ही दर्शन करना होता है।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए महाकाल मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने स्पष्ट किया कि बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी और उनकी पत्नी को अनुमति के तहत गर्भगृह में प्रवेश कराया गया था। वहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने इसे नाम की गफलत का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि चूंकि उनका पूरा नाम ‘बाबा कल्याणी’ है, इसलिए मंदिर के कर्मचारियों ने उन्हें साधु-संत समझ लिया और गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी। इस घटना के बाद प्रशासन पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लगने लगे हैं, क्योंकि इससे पहले एक आम युवक द्वारा गलती से गर्भगृह में प्रवेश करने पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी, जबकि कल्याणी समूह के प्रमुख के मामले को लेकर मामले को दबाने की कोशिशें की जा रही हैं।
4 जुलाई 2023 को सावन महीने में बढ़ती भीड़ को देखते हुए महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। उस समय इसे 11 सितंबर 2023 तक खोलने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक गर्भगृह आम भक्तों के लिए बंद ही रखा गया है। महाकाल लोक बनने के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई है—जो पहले 20-30 हजार प्रतिदिन हुआ करती थी, वह अब 1.5 से 2 लाख तक पहुंच गई है। ऐसे में सुरक्षा और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इतने बड़े पैमाने पर भक्तों का गर्भगृह में प्रवेश कराना संभव नहीं हो पा रहा है।